गुरु की स्वीकार्यता
हर वक्त संसार को गुरु की दृष्टि से देखो। तब यह संसार मलिन नहीं बल्कि प्रेम, आनन्द, सहयोगिता, दया आदि गुणों से परिपूर्ण, अधिक उत्सवपूर्ण लगेगा। तुम्हें किसी के साथ संबंध बनाने में भय नहीं होगा क्योंकि तुम्हारे पास आश्रय है। घर के अन्दर से तुम बाहर के वज्रपात, आंधी,...
Published on 19/07/2021 6:00 AM
सतोगुण और तमोगुण का फर्प
सतोगुण में ज्ञान के विकास से मनुष्य यह जान सकता है कि कौन क्या है, लेकिन तमोगुण तो इसके सर्वधा विपरीत होता है। जो भी तमोगुण के फेर में पड़ता है, वह पागल हो जाता है और पागल पुरुष यह नहीं समझ पाता कि कौन क्या है! वह प्रगति करने...
Published on 18/07/2021 6:00 AM
प्रयत्न में ऊब नहीं
संसार में गति के जो नियम हैं, परमात्मा में गति के ठीक उनसे उलटे नियम काम आते हैं और यहीं बड़ी मुश्किल हो जाती है। संसार में ऊबना बाद में आता है, प्रयत्न में ऊब नहीं आती। इसलिए संसार में लोग गति करते चले जाते हैं। पर परमात्मा में प्रयत्न...
Published on 17/07/2021 6:00 AM
जीवन और मृत्यु
चीन में लाओत्से के समय में ऐसी प्रचलित धारण थी कि आदमी के शरीर में नौ छेद होते हैं। उन्हीं नौ छेदों से जीवन प्रवेश करता है और उन्हीं से बाहर निकलता है। दो आंखें, दो नाक के छेद, मुंह, दो कान, जननेंद्रिय, गुदा। इसके साथ चार अंग हैं- दो...
Published on 07/07/2021 6:00 AM
आशा निराशा
एक मछुआरा था । उस दिन सुबह से शाम तक नदी में जाल डालकर मछलियाँ पकड़ने की कोशिश करता रहा , लेकिन एक भी मछली जाल में न फँसी। जैसे -जैसे सूरज डूबने लगा, उसकी निराशा गहरी होती गयी । भगवान का नाम लेकर उसने एक बार और जाल डाला...
Published on 28/06/2021 6:00 AM
बदला हुआ आदमी
स्कॉटलैंड के एक राजा को शत्रुओं ने पराजित कर दिया। उसे धन-जन की बड़ी हानि हुई और संगी-साथी भी छूट गए। अब बस उसका जीवन बचा था, पर शत्रु उसकी टोह में थे। प्राण बचाने के लिए वह भागा-भागा फिर रहा था। स्थिति यह थी कि राजा अब मरा कि...
Published on 26/06/2021 6:00 AM
ध्यान-तन्मयता का नाम समाधि
आस्था का निर्माण हुए बिना ध्यान में जाने की क्षमता अर्जित नहीं हो सकती। कुछ व्यक्तिियों में नैसर्गिक आस्था होती है और कुछ व्यक्तिियों की आस्था का निर्माण करना पड़ता है। आस्था पर संकल्प का पुट लग जाए और अनवरत अभ्यास का प्रम चलता रहे तो आगे बढ़ने का मार्ग...
Published on 23/06/2021 6:00 AM
धर्म का मूल केंद्र है वर्तमान
धर्म जगत ने धर्म को केवल परलोक के साथ जोड़कर भारी भूल की है। इसका परिणाम यह हुआ कि धर्म का असली प्रयोजन तिरोहित हो गया। वह स्वर्ग-सुखों के प्रलोभन और नरक-दुख के भय से जुड़ गया। हर धर्म-प्रवर्तक ने धर्म को जीवन से जोड़ा, किंतु धर्म-परंपराओं ने उसे स्वर्ग...
Published on 14/06/2021 6:00 AM
वरुथिनी एकादशी के दिन हुआ था संत वल्लभाचार्य का जन्म
वैशाख कृष्ण की एकादशी को वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस एकादशी को विधिपूर्वक व्रत करने से जीवन में मृत्यु समान दुखों से मुक्ति मिलती है। सन् 1479 में इसी एकादशी के दिन भक्ति परम्परा के महान संत वल्लभाचार्य का जन्म हुआ था। इन्हें 'वैश्वानरावतार' यानी अग्नि...
Published on 04/05/2021 10:55 AM
जो धन गलत कामों से कमाया जाता है, वह घर-परिवार में अशांति बढ़ा देता है
कहानी - देवी लक्ष्मी से जुड़ी एक पौराणिक कथा है। पुराने समय में महालक्ष्मी ने यह तय किया था कि वे असुरों के पास भी रहेंगी। इस बात से सभी देवता चिंतित थे। देवता आपस में इस बात की चर्चा करते थे कि देवी लक्ष्मी ने ये ठीक नहीं किया...
Published on 02/05/2021 11:09 AM