व्यक्तिगत चेतना का विस्तार
दूसरों के सुख-दुख का भागी बनने से हमारी व्यक्तिगत चेतना विकसित होकर विश्व चेतना बन जाती है। समय के साथ जब ज्ञान की वृद्धि होती है, तब उदासीनता संभव नहीं। तुम्हारा आंतरिक स्रोत ही आनन्द है।अपने दु:ख को दूर करने का उपाय है विश्व के दुख में भागीदार होना और...
Published on 09/08/2021 6:00 AM
ध्यान से खुल जाते हैं आत्मा के सारे चक्र
उपदेशों और सिद्धांतो की इतनी भरमार है कि परमात्मा को अर्थात अपने जीवन के परम लक्ष्य को ढूंढना घास में से सुई खोजने के बराबर हो गया है। कुछ लोगों के लिए आध्यात्मिकता, माया से मुक्त होने का साधन है तो कुछ लोगों के लिए यह तप और भक्ति से...
Published on 08/08/2021 6:00 AM
'थुकदम’ पर शोध खोलेगा जीवन-मृत्यु का रहस्य
गीता में कहा गया है कि शरीर तो एक पुतला मात्र है इसमें मौजूद आत्मा जीव है। यह जिस शरीर में होता है उस शरीर के गुण, कर्म और अपेक्षा के अनुरूप मृत्यु के बाद नया शरीर धारण कर लेता है। आत्मा न तो जन्म लेता है और न इसकी...
Published on 07/08/2021 6:00 AM
दूसरों के दुख से अपना दुख ज्यादा बेहतर
एक कहावत है 'राजा दुखी, प्रजा दुखी सुखिया का दुख दुना।' कहने का अर्थ यह है कि संसार में जिसे देखो वह अपने को दुखी ही कहेगा। राजा का अपना दुख है, प्रजा का अपना और जिसे आप सुखी माने बैठें हैं उससे पूछ कर देंखेंगे तो वह भी अपने...
Published on 03/08/2021 6:00 AM
लक्ष्य के प्रति समर्पण जरूरी
राइट बंधुओं ने पहली बार 9 नव बर, 1904 को 5 मिनट से ज्यादा देर तक हवा में उड़ान भरी थी। हवाई जहाज का आविष्कार करने वाले ऑॢवल और विल्बर राइट बचपन से ही कल्पनाशील थे। दोनों ने कल्पनाओं की उड़ान में हवाई जहाज बनाने का सपना देखना शुरू कर...
Published on 30/07/2021 6:45 AM
साधना और सुविधा
आसक्ति के पथ पर आगे बढ़ने वाले अपनी आकांक्षाओं को विस्तार देते हैं। उनकी इच्छाओं का इतना विस्तार हो जाता है, जहां से लौटना संभव नहीं है। उस विस्तार में व्यक्ति का अस्तित्व विलीन हो जाता है। फिर वह अपने लिए नहीं जीता। उसके जीवन का आधार पदार्थ बन जाता...
Published on 30/07/2021 6:00 AM
अंग्रेज़ी सत्ता और नैतिकता
सत्ता के संचालन में शक्ति की अपेक्षा रहती है या नहीं, यह एक बड़ा प्रश्न है। शक्ति दो प्रकार की होती है- नैतिक शक्ति और उपकरण शक्ति। नैतिक शक्ति के बिना तो व्यक्ति सही ढंग से प्रशासन कर ही नहीं सकता। उपकरण शक्ति का जहां तक प्रश्न है, एक सीमा...
Published on 26/07/2021 6:00 AM
इच्छाओं को समर्पित करते जाओ
सभी इच्छाएं खुशी के लिए होती हैं। इच्छाओं का लक्ष्य ही यही है। किंतु इच्छा आपको कितनी बार लक्ष्य तक पहुंचाती है? इच्छा तुम्हें आनंद की ओर ले जाने का आभास देती है, वास्तव में वह ऐसा कर ही नहीं सकती। इसीलिए इसे माया कहते हैं। इच्छा कैसे पैदा होती...
Published on 25/07/2021 6:00 AM
नर या नारायण कौन थे 'राम'
श्रीराम पूर्णत? ईश्वर हैं। भगवान हैं। साथ ही पूर्ण मानव भी हैं। उनके लीला चरित्र में जहां एक ओर ईश्वरत्व का वैचित्रमय लीला विन्यास है, वहीं दूसरी ओर मानवता का प्रकाश भी है। विश्वव्यापिनी विशाल यशकीर्ति के साथ सम्यक निरभिमानिता है। वज्रवत न्याय कठोरता के साथ पुष्यवत प्रेमकोमलता है। अनंत...
Published on 23/07/2021 6:00 AM
दिव्यता की विविधता
ईश्वर ने दुनिया की छोटी-छोटी खुशियां तो तुम्हें दे दी हैं, लेकिन सच्चा आनन्द अपने पास रख लिया है। उस परम आनन्द को पाने के लिए तुम्हें उनके ही पास जाना होगा। ईश्वर को पाने की चेष्टा में निष्कपट रहो। एक बार परम आनन्द मिल जाने पर सब-कुछ आनन्दमय है।...
Published on 20/07/2021 6:00 AM