Monday, 23 December 2024

जो लोग अपने जीवन से संतुष्ट हैं, वे बुरे समय में भी शांत और प्रसन्न रहते हैं

एक धनवान सेठ के पास सुख-सुविधा की हर एक चीज थी। परिवार में भी सब कुछ अच्छा था, लेकिन उसके जीवन में शांति नहीं थी। एक दिन वह व्यापार के लिए एक जंगल में से गुजर रहा था।जंगल में सेठ को एक आश्रम दिखाई दिया। वहां एक संत टूटी झोपड़ी...

Published on 02/05/2021 11:03 AM

असफल होने पर न छोड़ें हिम्मत, नए साहस और उत्साह से जीतें जंग

संगीतकार गाल्फर्ड के पास उसकी एक शिष्या अपने मन की व्यथा कहने गई कि वह कुरूप होने के कारण संगीत मंच पर जाते ही यह सोचने लगती है कि दूसरी आकर्षक लड़कियों की तुलना में उसे दर्शक नापसंद करेंगे और हंसी उड़ाएंगे। यह विचार आते ही वह सकपका जाती है...

Published on 30/04/2021 6:15 AM

हमेशा दें अच्छाई पर ध्यान

एक किसान रोज सुबह उठकर दूर झरनों से स्वच्छ पानी लेने जाया करता था। इस काम के लिए वह अपने साथ दो बड़े घड़े ले जाता था। उनमें से एक घड़ा कहीं से फूटा हुआ था और दूसरा सही था। इस वजह से रोज घर पहुंचते-पहुंचते किसान के पास डेढ़...

Published on 17/03/2021 6:30 AM

हमेशा जिंदा रखें अपने अंदर का जज़बा, सपनों को मिलेगी उड़ान

अवधी होनहार छात्रा थी। सी.सै. स्कूल की फाइनल वर्ष की विद्यार्थी थी। डाक्टर बनने का सपना था। माता-पिता के साथ भरतपुर जा रही थी। धीमी गति से जैसे ही रेलगाड़ी स्टेशन से चली, छटपटाहट में गाड़ी चढ़ने लगी कि पैर फिसल गया। बच गई लेकिन दोनों टागें कट गईं।माता-पिता पर...

Published on 24/02/2021 6:15 AM

शरीर तो मंदिर है

आस्तिकता और कर्त्तव्यपरायणता की सद्वृत्ति का प्रभाव सबसे पहले सबसे समीपवर्ती स्वजन पर पड़ना चाहिए। हमारा सबसे निकटवर्ती सम्बन्धी हमारा शरीर हैं। उसके साथ सद्व्यवहार करना, उसे स्वस्थ और सुरक्षित रखना अत्यावश्यक है। शरीर को नर कहकर उसकी उपेक्षा करना अथवा उसे सजाने-संवारने में सारी शक्ति खर्च कर देना, दोनों...

Published on 22/02/2021 6:00 AM

उत्तम शरण है धर्म  

धर्म के बारे में भिन्न-भिन्न अवधारणाएं हैं। कुछ जीवन के लिए धर्म की अनिवार्यता को स्वीकार करते हैं। कुछ लोगों का अभिमत है कि धर्म ढकोसला है। वह आदमी को पंगु बनाता है और रूढ़ धारणाओं के घेरे में बंदी बना लेता है। शायद इन्हीं अवधारणाओं के आधार पर किसी...

Published on 17/02/2021 6:30 AM

खुद को दूसरों से श्रेष्ठ मानकर अहंकार न करें

ईश्वर ने जब संसार की रचना की तब उसने सभी जीवों में एक समान रक्त का संचार किया। इसलिए मनुष्य हो अथवा पशु सभी के शरीर में बह रहा खून का रंग लाल है। विभिन्न योनियों की रचना भी इसलिए की ताकि मनुष्य कभी इस बात का अहंकार न करें...

Published on 16/02/2021 6:00 AM

भक्तों की सहायता करते हैं ईश्वर

ईश्वर को हम भले ही न देख पाएं लेकिन ईश्वर हर क्षण हमें देख रहा होता है। उसकी दृष्टि हमेशा अपने भक्तों एवं सद्व्यक्तियों पर रहती है। अगर आप गौर करेंगे तो पाएंगे कि जीवन में कभी न कभी कठिन समय में ईश्वर स्वयं आकर आपकी सहायता कर चुके हैं।...

Published on 15/02/2021 6:15 AM

जो हो रहा है उसके जिम्मेदार हम खुद हैं

हम मनुष्यों की एक सामान्य सी आदत है कि दु:ख की घड़ी में विचलित हो उठते हैं और परिस्थितियों का कसूरवार भगवान को मान लेते हैं। भगवान को कोसते रहते हैं कि 'हे भगवान हमने आपका क्या बिगाड़ा जो हमें यह दिन देखना पड़ रहा है।' गीता में श्री कृष्ण...

Published on 29/01/2021 6:00 AM

जो हो रहा है उसके जिम्मेदार हम स्वंय हैं

हम मनुष्यों की एक सामान्य सी आदत है कि दु:ख की घड़ी में विचलित हो उठते हैं और परिस्थितियों का कसूरवार भगवान को मान लेते हैं। भगवान को कोसते रहते हैं कि 'हे भगवान हमने आपका क्या बिगाड़ा जो हमें यह दिन देखना पड़ रहा है।' गीता में श्री कृष्ण...

Published on 24/01/2021 6:00 AM