एक किसान रोज सुबह उठकर दूर झरनों से स्वच्छ पानी लेने जाया करता था। इस काम के लिए वह अपने साथ दो बड़े घड़े ले जाता था। उनमें से एक घड़ा कहीं से फूटा हुआ था और दूसरा सही था। इस वजह से रोज घर पहुंचते-पहुंचते किसान के पास डेढ़ घड़ा पानी ही बच पाता था।
सही घड़े को इस बात का घमंड था कि वह पूरा का पूरा पानी घर पहुंचाता है और उसके अंदर कोई कमी नहीं है। वहीं दूसरी तरफ फूटा घड़ा इस बात से शॄमदा रहता था कि वह आधा पानी ही घर तक पहुंचा पाता है और किसान की मेहनत बेकार चली जाती है। फूटे घड़े ने अपनी समस्या से किसान को अवगत करवाया। वह बोला, ''आज लौटते वक्त तुम रास्ते में पड़ने वाले सुंदर फूलों को देखना।''
घड़े ने वैसा ही किया, वह रास्ते भर सुंदर फूलों को देखता आया, ऐसा करने से उसकी उदासी कुछ दूर हुई पर घर पहुंचते-पहुंचते फिर उसके अंदर से आधा पानी गिर चुका था।
किसान बोला, ''शायद तुमने ध्यान नहीं दिया, पूरे रास्ते में जितने भी फूल थे वे बस तुम्हारी तरफ ही थे, सही घड़े की तरफ एक भी फूल नहीं था। ऐसा इसलिए क्योंकि मैं हमेशा से तुम्हारे अंदर की कमी को जानता था और मैंने उसका लाभ उठाया। मैंने तुम्हारे तरफ वाले रास्ते पर रंग-बिरंगे फूलों के बीज बो दिए थे, तुम रोज थोड़ा-थोड़ा करके उन्हें सींचते रहे और पूरे रास्ते को इतना खूबसूरत बना दिया। आज तुम्हारी वजह से ही मैं इन फूलों को भगवान को अर्पित कर पाता हूं। तुम्हीं सोचो अगर तुम जैसे हो वैसे नहीं होते तो भला क्या मैं ये सब कुछ कर पाता?''