बुध ग्रह होने वाले हैं वक्री, इन राशि के जातकों को मिलेगा लाभ ही लाभ
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, बुध ग्रह बुद्धि, तर्क क्षमता और अच्छे संचार कौशल का कारक माना जाता है। यह चंद्रमा के बाद सबसे छोटा और सबसे तेज़ गति से चलने वाला ग्रह है। बारह राशियों में से, ग्रह को दो भावों, मिथुन और कन्या, का भी स्वामित्व प्राप्त है। 24...
Published on 22/08/2023 10:40 AM
चाणक्य विचार: ऐसे मित्रों का तुरंत करें त्याग, वरना बहुत पछताएंगे
आचार्य चाणक्य को भारत के महान ज्ञानियों और विद्वानों में से एक माना गया हैं। इनकी नीतियां देश दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं जिसे चाणक्य नीति के नाम से जाना जाता हैं।आचार्य चाणक्य ने अपने जीवन के अनुभवों को नीतिशास्त्र में पिरोया हैं जिसका अनुसरण करने वाला मनुष्य जीवनभर सफल...
Published on 27/07/2023 6:30 AM
व्यक्तिगत चेतना का विस्तार
दूसरों के सुख-दुख का भागी बनने से हमारी व्यक्तिगत चेतना विकसित होकर विश्व चेतना बन जाती है। समय के साथ जब ज्ञान की वृद्धि होती है, तब उदासीनता संभव नहीं। तुम्हारा आंतरिक स्रोत ही आनन्द है।अपने दु:ख को दूर करने का उपाय है विश्व के दुख में भागीदार होना और...
Published on 26/07/2023 6:00 AM
अंतर्दृष्टि से अनुबंधित है ज्ञान
बुद्धि अच्छी चीज है, पर कोरी बौद्धिकता ही सब कुछ नहीं है। इससे व्यक्ति के जीवन में नीरसता और शुष्कता आती है। ज्ञान अंतर्दृष्टि से अनुबंधित है, इसलिए यह अपने साथ सरसता लाता है। ज्ञानी व्यक्तियों के लिए पुस्तकीय अध्ययन की विशेष अपेक्षा नहीं रहती। भगवान महावीर ने कब पढ़ी...
Published on 23/07/2023 6:00 AM
चाणक्य नीति: जीवन में सुख शांति लाने के लिए इन चीजों से रहें दूर
आचार्य चाणक्य को भारत के महान ज्ञानियों और विद्वानों की श्रेणी में स्थान प्राप्त हैं इनकी नीतियां दुनियाभर में प्रसिद्ध मानी जाती हैं। चाणक्य ने अपने जीवन के अनुभवों को नीतिशास्त्र में पिरोया हैं जिसे चाणक्य नीति के नाम से जाना जाता हैं।चाणक्य ने मनुष्य जीवन से जुड़े हर पहलु...
Published on 20/07/2023 6:15 AM
कर्म के पाप-पुण्य में फंस जाता है जीव
ईश्वर क्षेत्रज्ञ या चेतन है, जैसा कि जीव भी है, लेकिन जीव केवल अपने शरीर के प्रति सचेत रहता है, जबकि भगवान समस्त शरीरों के प्रति सचेत रहते हैं। चूंकि वे प्रत्येक जीव के हृदय में वास करने वाले हैं, अतएव वे जीवविशेष की मानसिक गतिशीलता से परिचित रहते हैं।...
Published on 20/07/2023 6:00 AM
सुख की उपेक्षा क्यों?
मेरे पास लोग आते हैं। जब वे अपने दुख की कथा रोने लगते हैं, तो बड़े प्रसन्न मालूम होते हैं। उनकी आंखों में चमक मालूम होती है। जैसे कोई बड़ा गीत गा रहे हों! अपने घाव खोलते हैं, लेकिन लगता है जैसे कमल के फूल ले आए हैं। सुख की...
Published on 19/07/2023 6:00 AM
सुख के स्वभाव में डूबो
लगता है, आदमी दुख का खोजी है। दुख को छोड़ता नहीं, दुख को पकड़ता है। दुख को बचाता है। दुख को संवारता है; तिजोरी में संभालकर रखता है। दुख का बीज हाथ पड़ जाए, हीरे की तरह संभालता है। लाख दुख पाए, पर फेंकने की तैयारी नहीं दिखाता। जो लोग...
Published on 18/07/2023 6:00 AM
कर्त्तव्य को बनाएं सर्वोपरि लक्ष्य
अध्यापक ने विद्यार्थियों से पूछा- ‘रामायण और महाभारत में क्या अंतर है?’ विद्यार्थियों ने अपनी-अपनी समझ के अनुसार उत्तर दिए। अध्यापक को संतोष नहीं हुआ। एक विद्यार्थी ने अनुरोध किया- ‘आप ही बताइए’ अध्यापक बोला-रामायण और महाभारत में सबसे बड़ा अंतर है ‘हक-हकूक’ का। रामायण में राम ने अपना अधिकार छोड़ा,...
Published on 16/07/2023 6:00 AM
व्यक्तित्व निर्माण की प्रक्रिया
बदलाव का क्रम निरंतर चलता है। जैन दर्शन इस क्रम को पर्याय-परिवर्तन के रूप में स्वीकार करता है। पर्याय का अर्थ है अवस्था। प्रत्येक वस्तु की अवस्था प्रतिक्षण बदलती है। यह जगत की स्वाभाविक प्रक्रिया है।कुछ अवस्थाओं को प्रयत्नपूर्वक भी बदला जाता है।स्वभाव से हो या प्रयोग से, बदलाव की...
Published on 15/07/2023 6:00 AM