कोई भी परिस्थिति हो, ये काम कभी बंद ना करें
अपने विचारों का मूल्यांकन करना कभी भी बंद न करें, क्योंकि विचारों का प्रवाह अनवरत और कभी-कभी अत्यधिक भी हो जाता है। हर नया विचार पुराने को चुनौती देता है। यहीं से भ्रम भी पैदा होता है और कभी-कभी अधिक विचार आने से निर्णय भी गलत हो जाते हैं। रावण...
Published on 03/07/2023 6:00 AM
हर जीव में व्याप्त नारायण
वैदिक साहित्य से हम जानते हैं कि परम-पुरुष नारायण प्रत्येक जीव के बाहर तथा भीतर निवास करने वाले है। वे भौतिक तथा आध्यात्मिक दोनों जगतों में विद्यमान हैं। यद्यपि वे बहुत दूर हैं, फिर भी हमारे निकट हैं-आसीनो दूरं व्रजति शयानो याति सर्वतरू हम भौतिक इन्द्रियों से न तो उन्हें...
Published on 02/07/2023 6:00 AM
उसका अभिमान नाश कर के छोड़ता है
जब व्यक्तिि अपार धन-दौलत और आलीशान भवनों का मालिक हो जाता है तो वह स्वयं को औरों से अलग महसूस करने लगता है। ऊंचेपन की भावना के कारण वह किसी को कुछ नहीं समझता। यही भाव अभिमान है जो उसके रोम-रोम से दिखाई देता है। इस स्थिति में शेष लोग...
Published on 01/07/2023 6:00 AM
शांति इंसान के अंदर है
प़ानी में मिला हुआ नमक दिखाई नहीं देता। इसका यह मतलब नहीं कि वह गायब हो गया। हालांकि आंख से नहीं देख सकते, पर जबान से उसे चख तो सकते हैं। मनुष्य के साथ ही कुछ ऐसा ही होता है। हम शांति को आंखों से नहीं देख सकते, परंतु हृदय...
Published on 30/06/2023 6:15 AM
जीवन में दर्द अस्थायी होता है
एक राजा ने अपने सभी सलाहकारों को बुलाया और कहा, मैं चाहता हूं कि मैं अंदर से स्थिर बना रहूं। जीवन के उतार-चढ़ाव मेरा संतुलन बिगाड़ देते हैं। तुम कोई ऐसी चीज बताओ जिससे दुख की अवस्था से गुजरते हुए मैं खुशी पा सपूं और जब मैं आनंद की अवस्था...
Published on 29/06/2023 6:15 AM
बदला हुआ आदमी
स्कॉटलैंड के एक राजा को शत्रुओं ने पराजित कर दिया। उसे धन-जन की बड़ी हानि हुई और संगी-साथी भी छूट गए। अब बस उसका जीवन बचा था, पर शत्रु उसकी टोह में थे। प्राण बचाने के लिए वह भागा-भागा फिर रहा था। स्थिति यह थी कि राजा अब मरा कि...
Published on 26/06/2023 6:00 AM
शाश्वत प्रेम अंतहीन है
प्रेम कितना ही होता जाए, अधूरा ही बना रहता है। वह परमात्मा जैसा है। कितना ही विकसित होता जाए, पूर्ण से पूर्णतर होता जाता है, फिर भी विकास जारी है। जैसे प्रेम का अधूरापन ही उसकी शाश्वतता है। ध्यान रखना कि जो चीज पूरी हो जाती है, वह मर जाती...
Published on 24/06/2023 6:00 AM
ध्यान-तन्मयता का नाम समाधि
ध्यान के द्वारा परिवर्तन तभी संभव है जब ध्यान में जाने के लिए गहरी आस्था हो। आस्था का निर्माण हुए बिना ध्यान में जाने की क्षमता अर्जित नहीं हो सकती। कुछ व्यक्तिियों में नैसर्गिक आस्था होती है और कुछ व्यक्तिियों की आस्था का निर्माण करना पड़ता है। आस्था पर संकल्प...
Published on 23/06/2023 6:00 AM
कर्म से बना है वर्ण
मेरे द्वारा चार वर्णों की रचना गुण और कर्मों के हिसाब से की जाती है, फिर भी तू मुझे कभी न खत्म होना वाला और कर्मों के बंधन से मुक्ति ही जान ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र ये चार वर्ण हैं, अब ऐसा मान लेते हैं कि जो जिस घर...
Published on 22/06/2023 6:00 AM
खुद में करो भगवान के दर्शन
यज्ञ ज्ञात्वा न पुनर्मोहमेवं यास्यसि पाण्डव । येन भूतान्यशेषाणि दृक्षस्यात्मन्यथो मयि।। अर्थात: हे पांडव! जिस ज्ञान को जानकर फिर तुम मोह में नहीं पड़ोगे, उस ज्ञान से तुम यह जान सकोगे कि जो कुछ भी है वह उसी परमात्मा की वजह से ही है। गुरु, शिष्य को ज्ञान नहीं देता, बल्कि...
Published on 21/06/2023 6:00 AM