Saturday, 21 December 2024

जीव परमेश्वर की परा शक्ति 

जीव परमेश्वर की परा प्रकृति (शक्ति) है। अपरा शक्ति तो पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, मन, बुद्धि तथा अहंकार जैसे विभिन्न तत्वों के रूप में प्रकट होती है। भौतिक प्रकृति के ये दोनों रूप-स्थूल (पृथ्वी आदि) तथा सूक्ष्म (मन आदि) अपरा शक्ति के ही प्रतिफल हैं। जीव जो अपने विभिन्न...

Published on 12/03/2023 6:15 AM

शिष्य बना प्रशंसा का पात्र

गंगा किनारे गुरु अभेंद्र का आश्रम था। एक बार देश में भीषण अकाल पड़ा। गुरु अभेंद्र ने संकटग्रस्तों की मदद के उद्देश्य से अपने तीन शिष्यों को बुलाकर कहा - ऐसे संकट के समय में हमें अकाल पीड़ितों की सेवा करनी चाहिए। तुम लोग अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर भूखों को...

Published on 05/03/2023 6:15 AM

Chanakya Niti: इन कारणों की वजह से मनुष्य को कभी नहीं मिलता सुख..

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में ऐसी कई बातों का जिक्र किया है जिसके पालन मात्र से व्यक्ति को सफलताएं मिलने लगती हैं। अनजाने में आप से कुछ ऐसी गलतियां हो जाती है जिसके परिणाम सुखद नहीं होते। ऐसे में आपको इन बातों का अवश्य ध्यान रखना चाहिए।एक...

Published on 04/03/2023 9:00 AM

विवेक ही धर्म है 

युग के आदि में मनुष्य भी जंगली था। जब से मनुष्य ने विकास करना शुरू किया, उसकी आवश्यकताएं बढ़ गई। आवश्यकताओं की पूर्ति न होने से समस्या ने जन्म लिया।समस्या सामने आई तब समाधान की बात सोची गई। समाधान के स्तर दो थे- पदार्थ-जगत, मनो-जगत. प्रथम स्तर पर पदार्थ के...

Published on 04/03/2023 6:00 AM

सफलता चाहिए तो पहले ये सीखें

किसी भी काम में लगन का अपना महत्व होता है, सफलता आपकी एकाग्रता पर ही निर्भर करती है। आप संसार को पाने की दौड़ में हो या परमात्मा को, जब तक हम ध्यान लगाकर काम नहीं करेंगे कभी ठीक परिणाम नहीं मिलेगा। इसके लिए जरूरी है कि आप पहले अपने...

Published on 03/03/2023 6:00 AM

सच को छुपाने का परिणाम

एक बार की बात है। एक व्यक्ति का पुत्र कमाने के लिए विदेश गया। विदेश कमाने गए पुत्र ने अपने पिता को एक बहुत ही सुंदर अंगूठी भेजी। पत्र में उसने लिखा, ‘पिताजी! आपको मैं एक अंगूठी भेज रहा हूं। उसका मूल्य है पांच हजार रुपए। मुङो सस्ते में मिल...

Published on 27/02/2023 6:00 AM

सत्य की खोज अनंत

सत्य का अर्थ होता है, अनंत। सत्य की खोज का कोई अंत नहीं होता। यात्रा शुरू तो होती है, पर पूरी नहीं होती। पूरी हो ही नहीं सकती। क्योंकि अगर पूरी हो जाए यात्रा  तो उसका अर्थ होगा कि सत्य भी सीमित है। तुम आ गए आखिरी सीमा पर, फिर...

Published on 26/02/2023 6:30 AM

दु:खी होने की बजाय दुख का उपचार करें 

लोगों से अपने सुना होगा कि संसार में दु:ख ही दु:ख है। असफलता मिलने पर कई बार आप भी यही सोचते होंगे, जबकि वास्तविकता इससे भिन्न है। संसार में दु:ख इसलिए है क्योंकि संसार में सुख है। अगर सुख नहीं होता तो दु:ख का अस्तित्व भी नहीं होता है। ईश्वर...

Published on 23/02/2023 6:00 AM

 दुखी चित्त के लक्षण हैं उत्सव

दुनिया में दो ही तरह के लोग हैं- एक वे जो अपने को नया करने का राज खोज लेते हैं, और एक वे जो अपने को पुराना बनाए रखते हैं और चीजों को नया करने में लगे रहते हैं। भौतिकवादी और आध्यात्मवादी में एक ही फर्क है। आध्यात्मवादी रोज अपने...

Published on 11/02/2023 6:00 AM

मन की शक्ति

मन को जीवन का केंद्रबिंदु कहना असंभव नहीं है। मनुष्य की क्रियाओं, आचरणों का प्रारंभ मन से ही होता है। मन तरह-तरह के संकल्प, कल्पनाएं करता है। जिस ओर उसका रुझान हो जाता है उसी ओर मनुष्य की सारी गतिविधियां चल पड़ती है। जैसी कल्पना हो उसी के अनुरूप प्रयास-पुरुषार्थ...

Published on 06/02/2023 6:00 AM