इंदौर। विश्व संघ शिविर में आए विभिन्न देशों के लोग भारत के पृथ्वीपुत्र हैं। भारत सरकार विदेशों में दो-तीन साल के लिए ही राजदूत नियुक्त करती है, लेकिन दुनियाभर में हमारी संस्कृति का प्रचार-प्रसार करने वाले ये लोग वास्तव में हमारे सांस्कृतिक राजदूत हैं।
यह बात लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कही। वे मंगलवार को एमराल्ड हाइट्स स्कूल में आयोजित विश्व संघ शिविर के उद्घाटन समारोह में बोल रही थीं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भैय्याजी जोशी, पंजाब के रिटायर्ड डीजीपी पीसी डोंगरा मौजूद थे। ताई ने कहा कि हम वटवृक्ष की पूजा करते हैं यह केवल वृक्ष नहीं बल्कि हमारे परिवारों का प्रतीक भी है। बड़वाह का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ऋषियों की तपोभूमि बड़वाह में 120-122 वटवृक्ष हैं।
वटवृक्ष वृद्धि का प्रतीक है यह कभी रुकता नहीं है। हमारे ये राजदूत भी इसी तरह भारतीय संस्कृति का प्रसार-प्रचार बिना रुके करते रहे हैं। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि दुनिया ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज पर चर्चा कर रही है। पहले तो सबने मिलकर पर्यावरण संतुलन बिगाड़ा और अब उसकी चिंता कर रहे हैं। देवी अहिल्याबाई होलकर का जिक्र करते हुए कहा कि वे धार्मिक महिला के साथ ही बेहद अच्छी प्रशासक भी थीं। देशभर में कई सारे घाट बनवाए।
पक्षियों के लिए खेत के खेत छोड़ दिए जाते थे ताकि वे भूखे न रहें। उन्होंने कहा कि हमारा पारिवारिक तंत्र भी बेहद प्रभावी है। मेरी एक परिचित ने कहा मैं भारत वापस आना चाहती हूं। मेरी 13 साल की बेटी और 10 साल का बेटा है। यहां वह वातावरण नहीं मिलेगा, क्योंकि हमारे यहां की पारिवारिक व्यवस्था बेहतर है। उधर कुछ लोग कहते हैं कि यह देश रहने लायक नहीं बचा।
सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने 45 देशों से आए शिविरार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि हम अपने व्यवहार से, चिंतन से सारे विश्व को जोड़ना चाहते हैं न कि गुलाम बनाना। सारे विश्व को सुख-शांति और मानवता का मार्ग केवल भारत और हिंदू समाज ही दे सकता है। हम गर्व से कहते हैं कि हम हिंदू हैं तो यह अहंकार नहीं बल्कि स्वाभिमान होता है।
भैय्याजी ने कहा कि भारत का इतिहास बताता है कि हम कभी किसी को हराने के लिए, किसी को लूटने के लिए विदेश नहीं गए हैं। हम गए हैं तो दुनिया को देने ही गए हैं। हम जिस भी देश में रहते हैं उस देश के विकास में हमारी भूमिका होती है। यहां से कोई शा लेकर नहीं, बल्कि शास्त्र लेकर गया।
कर्मकांड से बाहर आने की जरूरत
भैय्याजी ने कहा कि हमें कर्मकांड से बाहर आना पड़ेगा। प्रकृति को भी देवता मानना यह बात सामान्य कर्मकांडों से मनुष्य के दिमाग में बैठ जाती है। हमारे यहां वटवृक्ष की पूजा होती है। पर बड़े शहरों में वटवृक्ष बचे ही नहीं हैं। वट सावित्री पूर्णिमा के दिन बाजार में वटवृक्ष की टहनियां तोड़कर लाते हैं और माता-बहनें उस टूटी टहनी की पूजा करती हैं। जो पर्व हमें वृक्षों की रक्षा का संदेश देता है वह कर्मकांड तक सीमित होकर रह गया।
दुनिया ने आयुर्वेद को माना
हिंदू स्वयं सेवक संघ के सह संयोजक रविकुमार अय्यर, डेनवर अमेरिका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर वेद नंदा, सिडनी आस्ट्रेलिया से आए निहाल सिंह अग्र और बर्मा से आए बजरंग शर्मा ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि आईएसआईएस और आतंकवाद के खतरों के बीच हिंदुत्व को काफी सराहा जा रहा है। विदेशों में योग और आयुर्वेद को काफी पसंद कर रहे हंै। शिविर से पूर्व विदेशी मेहमानों का स्वागत शोभायात्रा के माध्यम से किया गया।
विदेश मंत्री पहुंचीं...
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज मंगलवार शाम इंदौर पहुंचीं। विमानतल पर उनकी अगवानी भाजपा नगर अध्यक्ष कैलाश शर्मा, गोविंद मालू सहित अन्य नेताओं ने की। विदेश मंत्री ने शाम के अन्य कार्यक्रम रद्द करते हुए सीधे शिविर स्थल पर जाने की बात कही। एयरपोर्ट के वीआईपी लाउंज में ही तैयार होकर वे शिविर स्थल के लिए रवाना हो गईं। स्वराज बुधवार को भी शिविर में विदेशों से आए शिविरार्थियों से मुलाकात करेंगी।
विदेशों में बसे भारतीय हमारे सांस्कृतिक राजदूत : लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा
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