नई दिल्ली : भूकंप से फिर आहत नेपाल में स्थानीय प्रशासन की सहायता के लिए भारत तब तक अपना कोई राहत दल नहीं भेजेगा, जब तक कि पड़ोसी देश इसके लिए आग्रह नहीं करता.

सरकार के बड़े फैसलों की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा, 'सरकार नेपाल में कोई भी राहत दल भेजने से पहले पड़ोसी देश के अनुरोध का इंतजार करेगी.' यह फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि 25 अप्रैल को आए प्रलंयकारी भूकंप के करीब 10 दिन बाद नेपाल ने भारत के राष्ट्रीय आपदा मोचन बल सहित राहत एवं बचाव कार्यों में लगे तमाम विदेशी राहत दलों से अपने घर लौट जाने को कहा था.

सरकार ने हालांकि एनडीआरएफ और भारतीय वायु सेना को पूरी तरह चौकस और तैयार रहने को कहा है, ताकि नेपाल द्वारा किसी भी तरह की आपात सहायता मांगे जाने पर इन्हें तत्काल वहां भेजा जा सके. सूत्र ने कहा, 'हम जानते हैं कि काठमांडो स्थित भारतीय दूतावास अथवा नई दिल्ली स्थित नेपाल दूतावास में से कहीं से भी संदेश आ सकता है.' 25 अप्रैल को आए भूकंप के कुछ ही घंटे बाद भारत के राहत दल काठमांडो पहुंच गए थे और तत्काल राहत एवं बचाव अभियानों में जुट गए थे.

केन्द्रीय गृह सचिव एल सी गोयल की अध्यक्षता में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में नेपाल में राहत दल भेजने के मामले पर चर्चा हुई, लेकिन कोई निर्णय नहीं लिया गया. बैठक में अन्य लोगों के अलावा विदेश और रक्षा मंत्रालयों, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और आईएमडी के प्रतिनिधि मौजूद थे.

वहीं, नेपाल में एक बार फिर भीषण भूकंप आने के बाद विदेश मंत्रालय ने दिल्ली और नेपाल में नियंत्रण कक्ष स्थापित किए हैं, ताकि भूकंप से जुड़ी तमाम जानकारी उपलब्ध कराई जा सके. मंत्रालय ने यहां नियंत्रण कक्ष स्थापित किए जाने के साथ ही नेपाल में स्थापित कमान कक्ष को फिर से खोल दिया है, जिसे 25 अप्रैल के भीषण भूकंप के बाद यहां स्थापित किया गया था.

इस बीच विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'काठमांडो में हमारा दूतावास और सभी कर्मचारी सुरक्षित हैं.' नेपाल में भीषण भूकंप आने के तीन सप्ताह से भी कम समय में आज 7.3 की तीव्रता का एक और भूकंप आया, जिसका असर दिल्ली सहित उत्तरी एवं पूर्वी भारत के कई राज्यों में महसूस किया गया.