एफएमसीजी कंपनियों को शहरी खपत में दबाव का सामना करना पड़ रहा है मगर इस क्षेत्र की कंपनियों की ई-कॉमर्स बिक्री में जोरदार इजाफा हुआ है। झटपट सामान पहुंचाने के कारण ग्राहक न केवल ई-कॉमर्स बल्कि क्विक कॉमर्स से भी रोजमर्रा का सामान ऑनलाइन खरीद रहे हैं।
देश की सबसे बड़ी उपभोक्ता कंपनियों में से एक हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) का लक्ष्य अगले कुछ वर्षों में अपनी ई-कॉमर्स बिक्री को15 फीसदी तक पहुंचाना है, जो वर्तमान में कुल बिक्री की लगभग 7 से 8 फीसदी है। कंपनी प्रबंधन ने वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही के नतीजों की घोषणा करते हुए कहा था कि फिलहाल कंपनी की कुल बिक्री में क्विक कॉमर्स का योगदान एक अंक में है मगर यह तेजी से बढ़ रहा है।
एचयूएल के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी रोहित जावा ने कहा, ‘कुल बिक्री में ई-कॉमर्स की हिस्सेदारी करीब 7 से 8 फीसदी है और अगले कुछ साल में यह बढ़कर 15 फीसदी तक हो जाएगा। मुझे लगता है कि केवल क्विक कॉमर्स से यह लक्ष्य हासिल नहीं होगा बल्कि सभी माध्यमों का इसमें योगदान होगा।’ उन्होंने कहा कि कंपनी की कुल आय में क्विक कॉमर्स की हिस्सेदारी 2 फीसदी या इसके ई-कॉमर्स कारोबार का करीब एक-तिहाई है। जावा ने कहा कि यह छोटा हिस्सा है मगर यह तेजी से बढ़ रहा है।
टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी सुनील डिसूजा ने हाल ही में बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में बिक्री माध्यमों में बदलाव की बात कही थी। उन्होंने कहा, ‘ई-कॉमर्स के साथ ही क्विक कॉमर्स भी है। क्विक कॉमर्स पूरी तरह शहरी है और मेरा मानना है कि ई-कॉमर्स में 50 फीसदी शहरी और 50 फीसदी ग्रामीण है, तो मेरी शहरी वृद्धि 14.5 फीसदी रही है।’ नतीजों के बाद विश्लेषकों से बातचीत में टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के प्रबंधन ने कहा कि उसकी कुल आय में ई-कॉमर्स की हिस्सेदारी 14 फीसदी है और ई-कॉमर्स में क्विक कॉमर्स की हिस्सेदारी करीब आधी है।
2016 में नेस्ले इंडिया की आय में ई-कॉमर्स का योगदान महज 1 फीसदी था जो पिछले साल जून तिमाही के अंत में बढ़कर 7.5 फीसदी और वित्त वर्ष 2025 के अंत तक 8.5 फीसदी हो गया।
नेस्ले इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक सुरेश नारायणन ने कहा, ‘अपने ग्राहकों को सामान की आपूर्ति के लिए हमारे पास ओम्नी चैनल है और इसका मतलब है कि हमारे ब्रांड उन स्थानों और चैनल्स पर उपलब्ध हैं जो ग्राहकों के लिए सबसे सुविधाजनक हैं। ऐसा ही एक चैनल ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स है। वित्त वर्ष 2025 के अंत में घरेलू बिक्री में इस माध्यम का योगदान 8.5 फीसदी रहा।’
ई-कॉमर्स फर्मों का कहना है कि एफएमसीजी कंपनियां कुछ उत्पादों को पहले ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर ला रही हैं, उसके बाद उन्हें ऑफलाइन ले जा रही हैं। बिगबास्केट के हेड मर्केंडाइजिंग और कैटेगरी मैनेजमेंट सेषु कुमार का कहना है कि कुछ मामलों में एफएमसीजी कंपनियों ने पहले ई-कॉमर्स या क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर उत्पाद लॉन्च किए हैं और फिर उन्हें दूसरे चैनलों पर पेश किया है।
उन्होंने कहा, ‘विशिष्ट उत्पादों के मामले में एफएमसीजी कंपनियां कुछ खास क्षेत्रों को लक्षित करती हैं। उदाहरण के लिए यदि कोई उत्पाद शहर केंद्रित है या उच्च आय वर्ग के लिए है, तो वे उसे ई-कॉमर्स या क्विक कॉमर्स पर लॉन्च करती हैं और फिर वे अन्य श्रेणियों में विस्तार करती हैं।’
कुमार ने कहा कि जब नॉर ने कुछ अंतरराष्ट्रीय फ्लेवर लॉन्च किया था तो उसे पहले ई-कॉमर्स पर उतारा गया था और बाद में अन्य माध्यमों के जरिये उसकी बिक्री की गई थी।