महाराष्ट्र की सत्ताधारी अजित पवार की एनसीपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के नेताओं के बीच एक बार फिर तकरार देखने को मिल रही है. इस सरकार के बनने यानी 2024 से लेकर अब तक कई बार इन दो राजनीतिक दलों के बीच विवाद और बयानबाजी सामने आ चुकी है. ताजा मामला 1 मई के ध्वजारोहण से जुड़ा है. विवाद इस बात का है कि राज्य सरकार कैबिनेट मंत्री अदिति तटकरे के जिलाधिकारी कार्यालय पर ध्वजारोहण करने का सम्मान देना चाहती है. वही शिवसेना इसके विरोध में है. इसके पीछे कारण है रायगढ़ जिले के गार्जियन मंत्री पद जिसे अजित पवार की पार्टी की मंत्री अदिति तटकरे को दिया गया लेकिन एकनाथ शिन्दे की पार्टी के स्थानीय विधायक भरत गोगवाले और विधायक महेंद्र दलवी के विरोध के बाद रायगढ़ में गार्जियन मंत्री का पद अब तक खाली रखा गया है.

गार्जियन मंत्री को लेकर दोनों दलों में तनातनी

रायगढ़ से एनसीपी अदिति को ही गार्जियन मंत्री बनाने पर अड़ी है जबकि शिवसेना हर हाल में रायगढ़ के अपने विधायक और मंत्री भरत गोगवाले को गार्जियन मंत्री बनाना चाहती है.5 महीने से पेंच यही फंसा है और अब तक सुलझने का नाम नही ले रहा. मंत्री आदिती तटकरे को इस साल महाराष्ट्र राज्य के स्थापना दिवस पर ध्वजारोहण करने का मान मिलने की चर्चा के बीच शिवसेना (शिंदे गुट) के विधायक महेंद्र शेठ दळवी ने इसका विरोध किया है. उन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि यदि आदिती तटकरे को यह मान दिया गया तो हम विरोध करेंगे. दरसल आदिती तटकरे रायगढ़ से विधायक हैं और राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार गुट) की वरिष्ठ नेता सुनील तटकरे की बेटी हैं. रायगढ़ जिले की राजनीति में तटकरे परिवार का प्रभाव वर्षों से बना हुआ है. हालांकि, हाल के वर्षों में शिवसेना (शिंदे गुट) ने इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत की है और विधायक महेंद्र दळवी यहां से निर्वाचित हुए हैं.

शिवसेना बोली- ध्वजारोहण कार्यक्रमों का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए

शिवसेना का आरोप है कि ध्वजारोहण जैसे सरकारी कार्यक्रमों का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए. विधायक दळवी का कहना है कि महाराष्ट्र दिवस राज्य की अस्मिता का प्रतीक है, और ऐसे कार्यक्रमों में जिलाधिकारी जैसे प्रशासनिक अधिकारी को यह सम्मान मिलना चाहिए, न कि किसी राजनीतिक व्यक्ति को. इस पूरे विवाद पर रायगढ़ प्रशासन अब तक चुप है. सूत्रों के मुताबिक, अभी तक किसी को औपचारिक रूप से निमंत्रण नहीं भेजा गया है, लेकिन विधायक दळवी के सार्वजनिक बयान के बाद प्रशासन पर निर्णय को लेकर दबाव बढ़ गया है.

शिवसेना इसे अस्मिता से जोड़कर देख रही

शिवसेना इस मुद्दे को स्थानीय अस्मिता से जोड़कर देख रही है. अंदरखाने यह भी माना जा रहा है कि आने वाले नगर निगम,जिला परिषद चुनावों को देखते हुए शिवसेना इस तरह के मुद्दों के जरिए तटकरे परिवार के प्रभाव को सीमित करने की रणनीति पर काम कर रही है. वहीं, अब तक मंत्री आदिती तटकरे या उनकी पार्टी की ओर से इस मुद्दे पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है. हालांकि, सूत्रों का कहना है कि पार्टी इसे अनावश्यक विवाद मान रही है और फिलहाल टकराव से बचने की नीति अपना रही है. अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि रायगढ़ प्रशासन किसे महाराष्ट्र दिवस के ध्वजारोहण का सम्मान सौंपता है और यह विवाद किस दिशा में जाता है.