कलकत्ता हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि उपभोक्ता फोरम गिरफ्तारी वारंट जारी नहीं कर सकता, बल्कि वह सिर्फ सिविल जेल में नजरबंद करने का आदेश दे सकता है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने यह अहम टिप्पणी जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर की। जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम ने याचिकाकर्ता के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था, जिसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
उपभोक्ता फोरम के अधिकार में नहीं गिरफ्तारी वारंट जारी करना - हाईकोर्ट
न्यायमूर्ति शुभ्रा घोष ने सुनवाई के दौरान कहा कि कानून उपभोक्ता फोरम को दंड प्रक्रिया संहिता के तहत गिरफ्तारी वारंट जारी करने का अधिकार नहीं देता। इसके बाद न्यायमूर्ति घोष ने याचिकाकर्ता के खिलाफ जारी वारंट को रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह उपभोक्ता फोरम के अधिकार क्षेत्र से बाहर का मामला है।
क्या है मामला
यह मामला वर्ष 2013 का है, जब एक व्यक्ति ने फाइनेंस कंपनी से लोन लेकर ट्रैक्टर खरीदा था। लोन देने वाली कंपनी और व्यक्ति के बीच लोन को लेकर हुए एग्रीमेंट को लेकर विवाद हो गया था। जब देनदार कंपनी के 25,716 रुपये चुकाने में विफल रहा, तो कंपनी ने व्यक्ति का ट्रैक्टर जब्त कर लिया। इस पर देनदार ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराई। फोरम ने 25,000 रुपये का बकाया ऋण चुकाने के बाद शिकायतकर्ता को ट्रैक्टर का पंजीकरण प्रमाण पत्र सौंपने का निर्देश दिया। लेकिन, जब याचिकाकर्ता ने निर्देशों का पालन नहीं किया, तो उपभोक्ता फोरम ने उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया। इस वारंट के खिलाफ व्यक्ति ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जहां अब हाईकोर्ट ने उसे राहत देते हुए उपभोक्ता फोरम के आदेश पर रोक लगा दी है।