
नई दिल्ली । टीके पर अमीर देशों ने जिस तरह कब्जा कर रखा है, अगर यही हालात बने रहे तो पूरी दुनिया को कोरोना के नए रूपों का सामना करना पड़ सकता है। संयुक्त राष्ट्र ने इस खतरे के प्रति आगाह करते हुए, अमीर मुल्कों से टीका बांटने और टीके का उत्पादन दोगुना करने की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस का कहना है कि सभी देशों में टीकाकरण होने में जितना लंबा वक्त लगेगा वायरस के म्यूटेट होने (रूप बदलने) की संभावना उतनी ही बढ़ी रहेगी। इसके अलावा अमीर मुल्कों द्वारा पूर्ण टीकाकरण कर लेने से वहां सुरक्षा की झूठी या यूं कहें छद्म भावना पैदा हो जाएगी। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि जहां टीकाकरण नहीं हुआ है वहां पैदा होने वाला वायरस का नया स्वरूप जल्द ही घूम कर इन मुल्कों में पहुंच जाएगा। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस का कहना है कि दुनिया के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग समय पर महामारी की और अधिक नई लहरें आ सकती हैं। गुटेरेस ने यह भी कहा कि विकासशील देशों में कोरोना वायरस और उसके रूप परिवर्तन से बने वायरस जंगल की आग की तरह फैल रहे हैं। इस स्थिति का सामना करने में सबसे कारगर हथियार वैक्सीन ही है और इसलिए वैक्सीन का वितरण सभी देशों में उनकी आवश्यकता के अनुरूप किया जाना चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह भी कहा कि कई देश टीके की कमी के कारण बदतर स्थिति का सामना कर रहे हैं, जिसमें भारत प्रमुख है। जहां दूसरी लहर में अस्पताल और मुर्दाघर पटे हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र ने ब्रिटेन व कनाडा से यह अपील की है कि उनकी सरकारों ने जो अतिरिक्त टीके खरीद लिए हैं, वे उनका वितरण विकासशील और गरीब देशों को करें। इन देशों ने इतनी अधिक मात्रा खरीद रखी है कि ये अपनी पूरी आबादी को तीन से अधिक बार टीकाकरण करा सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि कोरोना संक्रमण के खिलाफ टीकाकरण की रफ्तार नहीं बढ़ाई गई तो यह वायरस अपने रूप बदल-बदलकर और ताकतवर हो जाएगा। इसके लिए बेहद जरूरी है कि टीके के उत्पादन को दोगुना किया जाए। दूसरी ओर, भारत समेत कई देशों ने यह मांग उठाई है कि वैक्सीन निर्माण से पेटेंट को हटाया जाए ताकि अन्य निर्माता कंपनियां इसे बना सके। संयुक्त राष्ट्र भी इसके समर्थन में खड़ा हो गया है। अब यह प्रस्ताव विश्व व्यापार संगठन के 164 देशों के सामने रखा जाएगा, अगर एक भी देश इसके विरोध में मतदान करता है तो प्रस्ताव गिर जाएगा।