जबलपुर। भारतीय सेना की अपार क्षमताओं का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिन पंच तत्वों से प्रकृति बनी है, उन पांचों तत्वों में ही ये अपनी प्रतिभा का दखल रखते हैं। जल के अलावा आकाश, वायु, मृदा, अग्नि से जुड़े कुछ ऐसे ही करतब दिखाए भरतीय सेना के कोर ऑफ सिग्नल के जवानों ने।

'कई छतों के दिये कब से बुझ गए होते, कोई तो है जो हवाओं के पर कुतरता है।' कुछ ऐसे ही भावों से लबरेज नीले आसमान में 8हजार किलोमीटर ऊपर उड़ते तिरंगे, सफेद, नीले रंगों के स्काइ डायवर्स। मानसिक व शारीरिक संतुलन की मिसाल कायम करते हुए 20 स्काइडायवर्स जब 200 किलोमीटर की रफ्तार से हवा को चीरते धीरे-धीरे नीचे मैदान की ओर बढ़े तो दर्शक सांसे थामे आसमान की ओर निहारते रहे। मैदान तक आते-आते 80 किलो मीटर की रफ्तार के बाद भी सधे हुए कदमों से कोई तिरंगे को साथ लेकर मैदान में कूदा तो कोई सिग्नल कोर के झंडे को।

इन जांबाज जवानों को देख समूचा कोबरा ग्राउंड तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। सिर्फ स्काय डायवर्स ही नहीं साहस का प्रतीक बन चुके सिग्नल कोर की डेयर डेविल्स टीम, माइक्रोलाइट विमान,कल्लारी पयट्टू, तायक्वांडो के अनोखे व अदम्य साहस से भरे प्रत्येक करतबों ने दर्शकों को हैरत में डाल दिया। वाओ, ग्रेट , कमाल कर दिया, शबाश जैसे शब्दों से गूंजता यह माहौल देखने मिला कोबरा ग्राउंड में। जहां भारतीय सेना के कोर ऑफ सिग्नल द्वारा 15 वें पुनर्मिलन समारोह का अंतर्गत एडवेंचर शो का आयोजन किया गया। जहां लगभग 3 घंटे चले कार्यक्रम में रोमांच, अदम्य साहस से भरे एडवेंचर देखने मिले।

सिग्नल-इन-चीफ ने किया उत्साहवर्धन

एडवेंचर शो के दौरान सिग्नल-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल नितिन कोहली, रश्मि कोहली, 1एसटीसी कमांडेंट ब्रिगेडियर के.विनोद कुमार, एडीजीएसएस मेजर जनरल आर.के.आनंद ने मौजूद होकर प्रत्येक प्रस्तुति को सराहा।

कुछ यूं रहे एडवेंचर शो के नजारे-

- शुरुआत में तिरंगे रंग, सिग्नल कोर के नीले रंग के गुब्बारों को छोड़ा गया।

- शांति के प्रतीक कबूतरों को उड़ाया गया।

- केरल की पारंपरिक मार्शल आर्ट कला कल्लारी पयट्टू का प्रदर्शन भी सिग्नल कोर के जवानों ने किया। जहां गोवा से आई टीम के 11 सदस्यों ने शारीरिक चुस्ती-फुर्ती को दिखाते हुए तलवार, ढाल के जरिए युद्घ कौशल को प्रस्तुत कर उपस्थित अतिथियों व दर्शकों को दिल जीत लिया।

- सिग्नल कोर की डेयर डेविल्स टीम के दो सदस्यों ने जोकर बनकर बाइक पर कभी उल्टे बैठकर, तो कभी खड़े होकर मस्खरी भरे अंदाज में करतब दिखाए और लोगों का मनोरंजन किया।

- कल्लारी पयट्टू के बाद सिग्नल कोर के जांबाजों ने तायक्वांडों की प्रस्तुति दी। यह प्रदर्शन 2एसटीसी, गोवा से आए जवानों द्वारा दी गई।

- सिग्नल के जवानों द्वारा मनमोहक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी दी गईं। जिसमें झेलम नृत्य से गणपति वंदना, महाराष्ट्र की संस्कृति को दिखाता जय शिवाजी नृत्य व पंजाब की रंग-बिरंगी संस्कृति से सराबोर भांगड़ा खास रहा।

- स्काय डायविंग शो मौसम के बदलने व हवा का सही रुख न मिल पाने के कारण भी कुछ विलंब से शुरू हो पाया।

- 6 माइक्रोलाइट विमानों ने आसमान में प्रदर्शन किया। पायलट द्वारा गुलाब के फूलों की बरसात की गई। माइक्रोलाइट विमान का वजन लगभग 300 से 450 किलो ग्राम होता है। और इनकी स्पीड 60 से 150 किलो मीटर प्रति घंटा रहती है। आसमान में उड़ते सफेद, पीले,नारंगी माइक्रोलाइट विमानों ने सभी की उत्सुकता बढ़ा दी।

- वर्ष 2015 के लिए बेस्ट परफॉर्मेंस के आधार पर 14 कोर सिग्नल रेजीमेंट को कैप्टन बत्रा ट्रॉफी दी गई। इस रेजीमेंट ने लेह में होने वाले कम्युनिकेशन के लिए उम्दा प्रदर्शन किया।

फायर जंप और लोटस रहे खास

डेयर डेविल्स टीम के सदस्यों लगभग 35 सदस्यों ने एक के बाद एक हैरतअंगेज करतबों से दर्शकों को रोमांचित कर दिया। जिसमें फायर जंप खास रहा। अभी तक एक ही मोटर साइकल सवार फायर जंप करता था लेकिन 1986 के बाद 14 फरवरी,2016 को पहली बार 5 मोटर साइकल सवारों ने एक साथ फायर जंप किया। इनके अलावा सिंगल क्रॉस, डबल क्रॉस, जिमी, लोटस, सिग्नल कोर के फ्लैग के साथ पिरामिड, तिरंगे, भारतीय सेना व सिग्नल के फ्लैग के साथ बना पिरामिड, रिवर्स सेल्यूट जैसे करतब दर्शकों को बहुत भाए। डेयर डेविल्स टीम ने कैप्टन मनप्रीत सिंह के निर्देशन में प्रदर्शन किया। पुनर्मिलन समारोह के अंतर्गत पूर्व डेयर डेविल्स कप्तान मेजर जनरल आर.के आनंद, कर्नल मलकीत सिंह, लेफ्टिनेंट कर्नल पीके के शर्मा, ले.कर्नल ए.देशपांडे,कर्नल राजेश कुमार, ले.कर्नल शिवा कृष्णन व अन्य पूर्व कप्तानों ने भी मोटर साइकल राइडिंग कर अपने पुराने दिनों का याद किया।

1 हजार कि.मी. साइकल का सफर

समारोह के दौरान दिल्ली से आई साइकल एक्सपीडिशन टीम भी आकर्षण का केंद्र रही। सफेद कपड़ों में मौजूद इस टीम के कप्तान मेजर ए.डिसूजा ने दिल्ली से जबलपुर तक साइकल से 1हजार किलोमीटर की दूरी तय की। इस टीम की कैप्टन तमन्ना ने बताया कि ज्वाइन इंडियन आर्मी का मोटो लेकर 24 सदस्यीय टीम पलवल, मथुरा, आगरा, ग्वालियर,झांसी, ललितपुर, सागर,दमोह होते हुए यहां आई हैं। यहां सिग्नल-इन-चीफ को फ्लेग दिया गया और उनके फ्लेग लेकर हम वापस दिल्ली जा रहे हैं। टीम 3 फरवरी,2016 को दिल्ली से चली थी और प्रतिदिन 100 किलो मीटर साइकल चलाने का टारगेट रखा गया था।

मोटर साइकल से 2 हजार कि.मी की यात्रा

2एसटीसी , गोवा से चली 12 सदस्यीय मोटर साइकल दल ने गोवा से जबलपुर तक 2 हजार किलो मीटर की दूरी तय की। रास्ते में पड़ने वाले सभी स्कूल कॉलेजों में रुक कर स्टूडेंट्स को ज्वॉइन इंडियन आर्मी, स्वच्छता अभियान के लिए मोटिवेट किया गया। टीम के कप्तान मेजर कार्तिक कन्नन ने बताया कि स्टूडेंट्स आर्मी में आना चाहते हैं लेकिन उन्हें प्रॉपर तरीका नहीं मालूम। तब हम ने उन्हें आर्मी में एंट्री के बारे में बताया। सिग्नल-इन-चीफ ने मोटर साइकल एक्सपीडिशन की इस टीम को भी सम्मानित किया। टीम 31 जनवरी,2016 को गोवा से चली थी।

आगरा से आई पैरा ट्रूपर्स टीम

स्काय डायविंग करने वाली टीम 15 पैराट्रूपर्स ट्रेनिंग सेंटर से आई थी। जिसमें थल सेना व वायु सेना के सदस्य शामिल रहे। टीम में स्क्वॉड्रन लीडर एमपी गोस्वामी, वॉड आफिसर एस.यादव, जूनियर वांड ऑफिसर आर.के तिवारी वायु सेना से शामिल रहे। 7 माह की ट्रेनिंग में तैयार होने वाली यह टीम आकाश गंगा के नाम से जानी जाती है।

मउ से आई टीम ने चलाए माइक्रोलाइट

माइक्रोलाइट विमानों के साथ ही पावर्ड हैंग ग्लाइडर्स मउ से आई टीम ने चलाए। 42 सदस्यीय यह टीम आर्मी एडवेंचर नोडल सेंटर,मउ से आई है। टीम के सदस्यों को 6 सप्ताह की ट्रेनिंग दी जाती है। टीम में देश की पहली महिला माइक्रोलाइट को पायलट कैप्टन तेजस्मिता भी शामिल हैं। टीम के कप्तान कर्नल एम.एस चावला थे।