बाजीराव मस्तानी के बारे में जैसा आपने सोचा होगा क्या वह वैसी ही यह फिल्म साबित हुई, शायद उससे भी बेहतर या वैसी ही. एक दर्शक ने भी कुछ ऐसा ही जानना चाहा इस फिल्म को लेकर, अपनी काल्पनिक दुनिया और वास्तविक दुनिया के बारे में.

जब आप एक पीरियड फिल्म देखने के लिए थिएटर में जाते हैं तो उसके किरदारों और दृश्यों को लेकर एक कल्पना आपके मन में होती है. आप फिल्म शुरू होने के ठीक पहले तक उसी कल्पना वाले सीन्स को अपने स्मृति पटल पर देखते रहते हैं और फिल्म को देखने के बाद अपने आप उसे अपनी उसी कल्पना के आसपास पाते हैं. दर्शकों की यही पूर्वाग्रह की कमी को निर्देशक संजय लीला भंसाली ने पकड़ लिया और उसके उलट फिल्म बना डाली.

फिल्म 'बाजीराव मस्तानी' के पेशवा बाजीराव और उनकी प्रेयसी-पत्नी मस्तानी आपको अपने आस पास के प्रेमी जोड़े की तरह प्रतीत होते हैं. ऐसा लगता है जैसे मंच पर रणवीर सिंह पेशवा का और दीपिका पादुकोण मस्तानी का चरित्र निभा रहे हों और आप थिएटर के फर्स्ट रो में बैठकर प्ले देख रहे हों. फिल्म के इन किरदारों को देखकर एक बार ऐसा जरूर लगेगा कि वे आपसे आंखे मिलाकर डायलॉग बोल रहे हों और आप झेंप जाते हैं. रणवीर ने अपने ही स्टाइल में डायलॉग बोले हैं. निर्देशक ने उन्हें बनावटी होने ही नहीं दिया. ऐसा लगता है जैसे भंसाली ने बार-बार रणवीर को यह कहा हो कि कहो कि तुम पेशवा बाजीराव नहीं रणवीर सिंह हो. वही रहकर किरदार निभाओ. यही फिल्म की विशेषता भी बन गई है.
संजय लीला भंसाली फिल्मों की भव्यता के लिए जाने जाते हैं जो इस फिल्म में है ही. बुंदेलखंड के राजा छत्रसाल के महल दिखाने में कोई बनावटी सेट नहीं हैं उसे राजस्थान के पुराने किलों में फिल्माया गया. मराठों के नए निवास पूना में शनिवार वाड़ा को भव्य सेट में तब्दील किया गया है. केंद्रीय कक्ष में खड़े पेशवा का प्रतिबिम्ब उनकी पत्नी काशीबाई (प्रियंक चोपड़ा) को अपने कक्ष में दिखाई देता है. मस्तानी महल के सेट को सोलह-सत्रहवीं शताब्दी के हिसाब से हेरिटेज लुक दिया गया है. स्पेशल इफेक्ट का खासा प्रयोग किया है, इसका श्रेय बॉलीवुड फिल्मों में विदेशी तकनीशियन की मदद को जाता है.

सत्यजीत रे की तरह संजयम्यूजिक में शास्त्रीय और कंटेम्पररी का स्टाइल खास रहा
संजय लीला भंसाली की संगीत पर अच्छी पकड़ है. 'बाजीराव मस्तानी' में भी उन्होंने कानों में रस गोलने वाले शास्त्रीय संगीत के साथ-साथ कंटेम्पररी स्टाइल का इस्तेमाल किया है.

प्रियंका चोपड़ा का भी जवाब नहीं
रणवीर और दीपिका दोनों का अभिनय दमदार है मगर आखिरी के दृश्यों में प्रियंका चोपड़ा बाजी मार गई. वो साबित करती हैं कि इंडस्ट्री में दीपिका से सीनियर हैं. फिल्म में रोल भले ही साइड हीरोइन का हो लेकिन उनकी एक्टिंग उन्नीस नहीं है. वैसे भी भंसाली की फिल्म में अतिरिक्त कलाकार होते ही नहीं हैं सभी कलाकार मुख्य लगते हैं. इरफान की दमदार आवाज भी फिल्म को दम देती है.