राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के शकूरबस्ती इलाके में 500 झुग्गियों के तोड़े जाने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने रेल मंत्रालय, दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस सभी को कड़ी फटकार लगाई है. कोर्ट ने सोमवार को घटना को अमानवीय बताते हुए जहां तीनों को नोटिस जारी किया है, वहीं रेलवे से पूछा कि क्या उसने पूर्व की गलतियों से कोई सीख नहीं ली है.

हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस और रेलवे को नोटिस जारी करते हुए मामले में सुनावई की अगली तारीख 16 दिसंबर रखी है. कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि झुग्गियों को तोड़े जाने की घटना ने लोगों का दर्द बढ़ाया है और ऐसा आगे से नहीं किया जाए. कोर्ट ने कहा, 'यह गंभीर मुद्दा है. यहां लोगों की जान का सवाल है.'

कोर्ट ने रेलवे को आदेश दिया है कि वह इस ओर किए गए सभी सर्वे और कितने घर तोड़े गए, इसका पूरा रिकॉर्ड न्यायालय के सामने पेश करे. साथ ही यह बताए कि घर तोड़ने से पहले कोई सर्वे किया भी गया या नहीं. कोर्ट ने मामले में रेलवे के तरीकों को बेहद गैरजिम्मेदाराना करार दिया है.

दिल्ली पुलिस और रेलवे सौंपे हलफनामा
इसके साथ ही कोर्ट ने मामले में दिल्ली पुलिस को हलफनामा देने को कहा गया है कि उसने कब, क्या और कैसे किया. इसके साथ ही पीड़ि‍तों को राहत पहुंचाने के लिए दिल्ली और केंद्र सरकार की तमाम एजेंसियो को तुरंत काम करने के आदेश दिए गए हैं.

गौरतलब है कि रेलवे की इस कार्रवाई के कारण न सिर्फ लोग बेघर हुए, बल्कि‍ उनकी जिंदगी भी खतरे में पड़ गई. डेमोलिशन ड्राइव में एक बच्ची की भी जान चली गई. कोर्ट के आदेश के बाद अब रेलवे के जीएम और दिल्ली पुलिस कमिश्नर कार्रवाई से पहले उठाए गए कदमों की जानकारी हलफनामे की शक्ल में देंगे.

क्या दिल्ली सरकार से की थी बात'
कोर्ट ने रेलवे से यह भी पूछा कि क्या उसने डेमोलेशन ड्राइव से पहले दिल्ली सरकार से कोई बात की थी. कोर्ट ने घटना पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, 'कुर्सी पर बैठे लोगों को क्या यह अंदाजा होता है कि जब वो डेमोलिशन का आदेश देते हैं तो उसका असर लोगों पर क्या होगा?' दिल्ली सरकार ने कहा कि वह पीड़ि‍तों को शेल्टर दे रही है. दवाई-कपड़े और खाने की चीजें भी दी जा रही हैं.