
इंदौर: शहर में भूजल स्तर तेजी से गिरा है। उन इलाकों में भी जल स्तर कम हुआ है, जहां पिछले 15-20 सालों में कभी पानी की समस्या नहीं रही। केंद्रीय भूजल बोर्ड ने इंदौर को अत्यधिक दोहन की श्रेणी में रखा है। इस बीच, शहर में सक्रिय निजी टैंकर संचालकों पर अंकुश लगाने में नगर निगम के अफसर नाकाम रहे हैं। टैंकर संचालकों के दबाव के चलते एमआईसी में वह प्रस्ताव पारित नहीं हो पाया, जिसके तहत निजी बोरिंग से पानी के व्यावसायिक उपयोग पर रोक लगती। अगर हालात ऐसे ही रहे तो इंदौर भी जल संकट के लिए चिह्नित शहरों में शामिल हो जाएगा। केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले कुछ सालों से इंदौर का भूजल स्तर लगातार गिर रहा है। वर्ष 2012 की तुलना में वर्ष 2023 तक जल स्तर 160 मीटर (करीब 560 फीट) नीचे जा चुका है।
इसके साथ ही इंदौर में भूजल का अत्यधिक दोहन हुआ। एक अनुमान के मुताबिक, रिचार्ज के तहत जितना पानी जमीन में भेजा गया, उससे कहीं ज्यादा पानी जमीन से निकाला गया। यह तरीका अतिदोहन की श्रेणी में आता है। उदाहरण के लिए एक घर से 100 लीटर पानी रिचार्ज के जरिए जमीन में भेजा जाता था, लेकिन उसी घर से 150 से 200 लीटर पानी जमीन से निकाला जाता था। अनुमान है कि शहर में 120 फीसदी तक भूजल का उपयोग हो रहा है।
मांग का आधा ही पानी सप्लाई होता है
शहर की आबादी तेजी से बढ़ी है। प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 150 लीटर पानी की खपत होती है। इस हिसाब से औसतन 700 से 800 एमएलडी पानी की मांग है, लेकिन नर्मदा जल व अन्य स्रोतों से 450 एमएलडी से ज्यादा पानी सप्लाई नहीं हो पाता। शहर में हर दूसरे दिन पानी सप्लाई होता है। बाकी पानी भूजल से सप्लाई होता है। इस्तेमाल किए गए भूजल का आधा भी वापस जमीन में नहीं जाने से स्थिति और खराब हो गई है। बेंगलुरू, दिल्ली, बठिंडा, मुंबई और चेन्नई में बुरा हाल:
अगर जल संरक्षण के लिए अब भी प्रयास कम हुए तो इंदौर भी बेंगलुरू, दिल्ली, बठिंडा, मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद जैसे जलसंकटग्रस्त शहरों की तरह हो जाएगा। जलस्तर कम होने और नर्मदा जल की कम आपूर्ति के कारण टैंकर संचालक सक्रिय हो गए हैं। अधिकारी इन पर लगाम नहीं लगा पा रहे हैं। निजी बोरवेल से पानी के व्यावसायिक उपयोग पर रोक लगाने का अधिकारियों का प्रस्ताव टैंकर संचालकों के दबाव में एमआईसी में पारित नहीं हो सका। निजी बोरवेल का पानी ऊंचे दामों पर बिक रहा है।
यहां गिरा जलस्तर
बिचौली मर्दाना, सिलिकॉन सिटी, खंडवा रोड, निपानिया, देवास नाका, विजय नगर, गांधी नगर, एयरपोर्ट, छोटा बांगड़दा समेत एक दर्जन से अधिक स्थानों पर।
तीन गुना दाम
नगर निगम ने गर्मी में 200 से अधिक टैंकर चलाने का दावा किया है, लेकिन ये नाकाफी हैं। निगरानी के अभाव में कई टैंकर निजी स्थानों पर पानी सप्लाई करने के लिए मोटी रकम वसूल रहे हैं। निजी संचालक 1000 रुपये प्रति टैंकर बेच रहे हैं। 500-600 रुपए में 1200 से 1800 रुपए में मिल रहा पानी। गौरतलब है कि बोरवेल का पानी बेचने के लिए केंद्रीय भूजल बोर्ड से अनुमति लेनी पड़ती है। शहर में एक भी बोरवेल के लिए केंद्रीय भूजल बोर्ड से अनुमति नहीं ली गई है।