राष्ट्रीय राजधानी में मूर्ति विसर्जन के दौरान यातायात की स्थिति पर निगरानी करने के लिए पहली बार हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया गया। हेलीकॉप्टर की मदद से विभिन्न इलाकों के ट्रैफिक की ताजा जानकारी कंट्रोल रूम को भेजी गई। इसके अलावा निगरानी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी की गई।

विशेष पुलिस आयुक्त (ट्रैफिक) डॉ. मुक्तेश चंद्र ने बताया कि मूर्तियों को घाट तक ले जाने के लिए भारी वाहनों का प्रयोग होता है। इस वजह से न केवल चौराहों पर जाम लग जाता है, बल्कि सड़कों पर वाहनों की लंबी कतार भी देखने को मिलती है। किसी एक मार्ग के अलग-अलग केरिज-वे में भारी वाहनों की स्थिति क्या है, यह सब हवाई निगरानी से पता चल गया।

हेलीकॉप्टर में मौजूद ट्रैफिक कर्मी वायरलैस के जरिए कंट्रोल रूम और सड़क पर तैनात कर्मियों को दिशा-निर्देश दे रहे थे। इसका फायदा यह हुआ कि एक विशेष ट्रैफिक सर्कल की सूचना आगे वाले रूट पर तैनात पुलिसकर्मियों को पहले ही मिल गई। हेलीकॉप्टर से मिली सूचना के आधार पर आगे का रूट खाली करा दिया गया या फिर उसे डायवर्ट किया गया। मूर्ति विसर्जन वाले सभी घाटों, वहां की सड़कों तथा इससे प्रभावित अन्य क्षेत्रों का भी सर्वेक्षण किया गया।

इसके लिए पवन हंस कंपनी का एक हेलीकॉप्टर किराए भी लिया गया था। हवाई निगरानी दोपहर एक बजे से लेकर शाम छह बजे तक की गई। सूर घाट, गीता घाट, कुदेसिया घाट, कालिंदी कुंज, हाथी घाट, नानकसर गुरुद्वारे का पिछला हिस्सा, गढ़ी मांडू घाट, सोनिया विहार, चौहान पट्टी, छठ पूजा घाट आईपी एस्टेट, यमुना नदी पुश्ता और ठोकरा के पूर्वी किनारे, वजीराबाद और बुराड़ी तक हवाई निगरानी की गई।