जबलपुर। लोगों के जेहन में छुकछुक ट्रेन के नाम से जगह बना चुकी छोटी लाइन की ट्रेनों को अलविदा कहने का समय नजदीक आ गया है। शहर से चलने वाली तीनों छोटी ट्रेनों को 1 अक्टूबर से हमेशा के लिए बंद कर दिया जाएगा और इन्हें नागपुर डिवीजन में भेज दिया जाएगा।
छोटी लाइन की विरासत को जिंदा रखने के लिए पश्चिम मध्य रेलवे ने जबलपुर से शिकारा तक हैरिटेज ट्रेन चलाने की घोषणा की थी, लेकिन इस प्रस्ताव पर अब तक कोई पहल नहीं हो सकी। ऐसे में 1 अक्टूबर के बाद छोटी लाइन का ट्रैक उखाड़ने काम शुरू हो जाने पर हैरिटेज ट्रेन का प्लान फाइलों में ही दफन हो जाएगा।
इंजनों को म्यूजियम में रखेगा बिलासपुर जोन
जबलपुर की तीनों छोटी ट्रेनों को नागपुर डिवीजन भेजने की तैयारी हो चुकी है। 30 सितम्बर को जबलपुर से नैनपुर और बालाघाट जाने वाली तीनों ट्रेन वापस जबलपुर नहीं आएंगी। इन्हें नागपुर डिवीजन में नागपुर से नागवीर स्टेशन के बीच चलाया जाएगा। 110 किमी के इस नैरोगेज ट्रैक में तीनों ट्रेनों के कोच दौड़ेंगे। जो कोच खराब हो चुके हैं उन्हें डिमेंटल कर दिया जाएगा। वहीं इनके कुछ इंजनों को बिलासपुर जोन अपने म्यूजियम में रखेगा।
110 किमी ट्रैक की लगेगी बोली
जबलपुर से नैनपुर और बालाघाट के बीच के ट्रैक को नीलाम करने की तैयारी भी शुरू हो गई है। जानकारी के मुताबिक जबलपुर से ग्वारिघाट के ट्रैक को रेलवे(नागपुर डिवीजन) खुद उखाड़ेगा ताकि ब्रॉडगेज के काम में किसी तरह की दिक्कत न आए। शेष ट्रैक (लगभग 110 किमी) को नीलाम किया जाएगा। बोली लगानी वाली पार्टी को एक निर्धारित सीमा के भीतर यह ट्रैक उखाड़ना होगा। ट्रैक में पड़ने वाले तकरीबन 60 से 70 बड़े रेल ब्रिजों को भी नीलाम किया जाएगा। इन्हें भी एक माह के भीतर डिस्मेंटल करने की योजना है।
ट्रैक की रखवाली करेंगे चौकीदार
रेलवे अधिकारियों को चोरी का डर भी सता रहा है। उन्हें डर है कि ट्रेनों का संचालन बंद होने के बाद ट्रैक से स्लीपर व अन्य सामग्री चोरी न हो जाएं। इसलिए इनकी रखवाली के लिए चौकीदारों को तैनात किया जाएगा।
1905 में शुरू हुई थी ट्रेन
जबलपुर से गोंदिया रेलमार्ग(छोटी लाइन) 1905 में शुरू हुआ। इस रेललाइन का नाम सतपुड़ा ब्रांच रखा गया। यह रेलमार्ग डालने के पीछे अंग्रेजों का मकसद यहां की बेशकीमती सागौन का परिवहन करना था।
नागपुर चली जाएंगी जबलपुर डिवीजन की तीनों छुकछुक ट्रेनें
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