भोपाल। नई विधान भवन के इतिहास में पहली बार मंगलवार को किसी व्यक्ति को विधानसभा की अवमानना का दोषी पाते हुए भर्त्सना की सजा दी गई। विधानसभा अध्यक्ष ने सिद्धार्थ गुप्ता को कटघरे में खड़ा करवा कर उन्हें यह सजा दी। सिद्धार्थ गुप्ता ने विधानसभा अध्यक्ष पर नियुक्तियों का आरोप लगाया था। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही आज सबसे पहले यह मामला आया। अध्यक्ष ने कहा कि 24 जुलाई 2014 को हमने तय किया था कि हम भर्त्सना करेंगे। उन्होंने कहा कि आज विधानसभा उच्च न्यायालय के रूप में काम करेगी। सभी सदस्य शांति बनाए रखें। हमकों अपन विशेषाधिकारों की चिंता करनी चाहिए। उन्होंंने कहा कि आरोपी ने बिना किसी प्रमाण के आरोप लगाए थे और प्रेस विज्ञप्ति भी जारी की थी। अपने आरोपों के प्रमाण के लिए उन्हें बार-बार समिति ने बुलाया पर न तो वे आए और न ही आरोपों के पक्ष में कोई प्रमाण पेश किए। उन्होंने कहा कि इनके कार्य-व्यवहार और अनुचित तरीके के चलते उन्हें सदन की अवमानना का दोषी पाया गया है। यह सदन की इसके कार्य की भर्त्सना करता है। पूरा मामला करीब तीन से चार मिनट तक चला। इससे पहले एक संदर्भ 20 सितम्बर 1994 का है जिसमें नेता बाबूलाल गौर और गौरीशंकर शेजवार का नाम आया है।  विधानसभा में 8 अगस्त 1991 को डीएसपी और निरीक्षक पुलिस आरके चौधरी, अजय बिसेन, बच्चन सिंह को अवमानना की सजा मिली। इन्हें निलंबित करने की भी कार्रवाई की गई।

झूमा-झटकी में बदल गई नारेबाजी
विधानसभा की कार्यवाही स्थगित होने के बाद कांग्रेस और भाजपा विधायक विधानसभा परिसर में एक दूसरे के खिलाफ जमकर नारेबाजी करने लगे। इस दौरान कांग्रेसी विधायक सुंदरलाल तिवारी समेत कुछ कांग्रेसी विधायकों की भाजपा विधायकों से झूमा-झटकी भी हो गई। इसके चलते माहौल वहां काफी गरमा गया। कांग्रेसी सदस्य जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का इस्तीफे की मांग कर रहे थे वहीं भाजपाई कांग्रेसी गुंडागर्दी नहीं चलेगा के नारे लगा रहे थे। इस दौरान कांग्रेसी सदस्यों ने जब मारपीट करने वाले विधायकों में सुदर्शन गुप्ता का नाम लिया तो उनका कहना था कि उन्होंने किसी के साथ झूमाझटकी नहीं की। कांग्रेसी विधायक भाजपा की महिला विधायकों के साथ अभद्रता कर रहे थे, मैं उन्हें बचा रहा था।

मंत्री बोले हमारे टछअ अनुशासित
वहीं सरकार के मंत्री नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव और डाक्टर गौरीशंकर शेजवार ने कहा कि भाजपा के विधायक पूरी तरह अनुशासित हैं। कांग्रेसी विधायकों ने उन्हें उकसाने का प्रयास किया। नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस के कहने से सीएम इस्तीफा नहीं दे देगे।

कांग्रेसी विधायक बोले हमारी सुरक्षा खतरे में
सदन के बाहर हुई झूमा-झटकी पर कांग्रेस विधायकों ने कहा कि उनकी सुरक्षा अब खतरे में हैं। विधायक रजनीश अग्रवाल और मघु भगत ने कहा कि हमे भाजपा के कुछ विधायकों ने धक्का देकर नीचे गिरा दिया। सुंदरलाल तिवारी ने कहा कि मेरा हाथ पकड़कर खींचा गया
न तो मुझे सदन में बोलने दिया गया और न ही बाहर। इन विधायकों ने कुछ भाजपा विधायकों के नाम लेते हुए उन पर दुर्व्यहार का आरोप लगाया। इसके बाद ये विधायक  नेता प्रतिपक्ष के साथ अध्यक्ष के पास भाजपा विधायकों की  शिकायत करने गए।

सदन स्थगित, विपक्ष के खिलाफ निंदा प्रस्ताव
व्यापमं को लेकर कांग्रेस के हंगामें के कारण पहले अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी। इससे पहले संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस सदस्यों के आचरण को अमर्यादित बताते हुए कहा कि कांग्रेस सदस्य सदन के बहुमूल्य समय को बर्बाद कर रहे हैं। हमने आपको निंदा प्रस्ताव दिया है। इस पर सदन में चर्चा होनी चाहिए। इस पर कांग्रेस सदस्य गर्भ गृह में आ गए और मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग करने लगे।  अध्यक्ष ने सत्ता पक्ष द्वारा लाए निंदा प्रस्ताव को स्वीकृत कर लिया इस पर बाद में चर्चा होगी।

बंद होगा भूमि विकास बैंक, किसानों का कर्ज माफ
शिवराज कैबिनेट ने 1000 करोड़ रुपए के घाटे में चल रहे भूमि विकास बैंक को बंद करने को हरी झंडी दे दी। बैंक के 1476 कर्मचारियों को सहकारी संस्थाओं में मर्ज किया जाएगा। साथ ही किसानों की बंधक रखी गई भूमि के मामले में भी सरकार ने राहत भरा कदम उठाया है। उन किसानों की बंधक भूमि का 670 करोड़ रुपए का ब्याज माफ कर दिया गया है जो लंबे समय से बकाया था। सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि अब ऐसे किसानों के 18 माह में सिर्फ मूलधन की राशि वापस करनी होगी। इसके बाद वे अपनी जमीन को मुक्त करके बेचने का काम कर सकेंगे। कैबिनेट में एक अन्य फैसला भंडार क्रय नियमों को लेकर भी हुआ है। इसमें कहा गया है कि लघु उद्योग निगम में अब ई-टेंडरिंग से खरीदी की जाएगी। इसके लिए निगम के क्षेत्र में शामिल 139 वस्तुओं में से 39 वस्तुएं शामिल की जाएंगी। इसके लिए प्रदेश के लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी। कैबिनेट में महू में संचालित बाबा साहब अंबेडकर संस्थान को विश्वविद्यालय का दर्जा देने पर भी सहमति दे दी है। इसके अलावा मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास मिशन की राशि अब हितग्राहियों को दो किस्तों में देने पर सहमति हुई है। पहले यह राशि तीन किस्तों में दी जाती थी।