नई दिल्ली: सोने की कीमतें 4 फीसदी की गिरावट के साथ पांच साल के निचले स्तर पर पहुंच गई। वैश्विक बाजार में पांच वर्ष से अधिक समय के निचले स्तर पर आने के बाद वायदा बाजार में सोने की कीमतें 25,000 रुपये प्रति 10 ग्राम से नीचे आ गईं। विशेषज्ञों का कहना है कि बाहरी बाजारों में रुझान कमजोर रहने से सोने की कीमतें वायदा कारोबार में 25,000 रुपये से कम के स्तर पर आईं।

वैश्विक स्तर पर सोना गिर कर 1,088.05 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर गया। सर्राफा का मार्च 2010 के बाद यह सबसे कमजोर स्तर है।शंघाई गोल्ड एक्सचेंज में कारोबार शुरू होने के बाद यह गिरावट आई। इसके बाद चीन द्वारा सोने की बड़े पैमाने पर बिकवाली घटने से सोने ने कुछ हद तक रिकवरी दर्ज की और यह 1,100 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर कारोबार करने लगा।

 इसलिए हुआ सोना सस्ता-
-सोने की कीमतों में सबसे गिरावट की प्रमुख वजह सोने के सबसे बड़े खरीदार चीन का सोना बेचना रहा। चीन सोने की कीमतें कम होने के बावजूद बड़े पैमाने पर सोना बेच रहा है।

-अमेरिका में दरें बढऩे का डर और चीन में बिकवाली की गतिविधियों की वजह से सोने की कीमतें गिर कर लगभग छह वर्ष के निचले स्तर पर आ गईं। इस ट्रेंड के लिए प्रमुख कारण यह है कि अन्य दूसरी कमोडिटी की तरह सोने की कीमत डॉलर में आंकी जाती है।

-जब अमेरिकी डॉलर मजबूत होता है तो आपको समान मात्रा में सोना खरीदने के लिए कम डॉलर खर्च करना पड़ता है। मई की शुरुआत में अमेरिकी डॉलर पाउंड की तुलना में 1.6 फीसदी मजबूत हुआ है और इसे हाल में सोने की कीमतों में गिरावट के रुझान का सबसे अहम कारण बताया जा रहा है।

-सोने की जोरदार बिकवाली के पीछे एक और संभावित कारण शुक्रवार की खबर हो सकती है, जिसमें कहा गया था कि पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना के पास लगभग 1,658 टन सोना है। सोने की यह मात्रा विश्लेषकों की उम्मीद से कम है। विश्लेषकों को उम्मीद थी कि पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना के पास 3,500 टन सोना होगा। 2009 के बाद से चीन ने पहली बार अपने पास रखे सोने की मात्रा का खुलासा किया है।

-चीन के सोने की मात्रा 2009 में सोने की मात्रा से 60 फीसदी अधिक है लेकिन उम्मीद से कम सोने की मात्रा के बारे में खुलासा होने के बाद शुक्रवार को सोने की कीमतें 10 डॉलर प्रति औंस कम हो गईं।