मुंबईः विवादित परमाणु कार्यक्रम पर ईरान का विश्व की छह महाशक्तियों के साथ हुए समझौते से कच्चे तेल की कीमत घटने की उम्मीद में हुई जबरदस्त लिवाली की बदौलत बीते सप्ताह शेयर बाजार करीब तीन प्रतिशत की तेजी के साथ तीन महीने के उच्चतम स्तर पर रहे।
बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सैंसेक्स 801.91 अंक अर्थात 2.89 प्रतिशत की छलांग लगाकर 28463.31 अंक पर और नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक निफ्टी 249.30 अंक यानि 2.98 प्रतिशत की उछाल के साथ 8600 अंक के मनोवैज्ञानकि स्तर के पार 8609.85 अंक पर रहा।
ऐतिहासिक समझौते से ईरान में कच्चे तेल का उत्पादन बढऩे और बाधित निर्यात शुरू होने से वैश्विक स्तर पर इसकी कीमत घटने के साथ ही दिवालिया होने की कगार पर पहुंच चुके यूनान का बेलआउट पैकेज पर यूरोपीय कर्जदाताओं के साथ समझौता होने से उत्साहित निवेशकों की लिवाली से आलोच्य सप्ताह विदेशी बाजारों के साथ ही सेंसेक्स और निफ्टी उड़ान भरने में सफल रहे।
तेल आयात सस्ता होने से न केवल भारत का चालू खाता घाटा सुधरेगा बल्कि ईरान द्वारा आयात का अधिकांश भुगतान रुपए में स्वीकार करने पर सहमत होने से देश के विदेशी मुद्रा भंडार में भी बढ़ोतरी होने की उम्मीद ने निवेशकों की निवेशा धारणा को मजबूत किया है। आर्थिक सर्वेक्षण 2015 के अनुमान के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत एक डॉलर प्रति बैरल घटने से प्रत्येक वर्ष देश के आयात बिल में 0.9 अरब डॉलर की कमी आ सकती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि हालांकि जून में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा महंगाई के नौ माह के उच्चतम स्तर 5.40 प्रतिशत पर पहुंचने तथा यूनान और चीन संकट के कारण मांग कमजोर पडऩे से जून में देश के निर्यात में लगातार सातवें महीने गिरावट का रुख भारतीय अर्थव्यवस्था और बाजार दोनों के लिए चिंता का विषय है। जून 2015 में निर्यात 15.82 प्रतिशत गिरकर 22.28 अरब डॉलर पर आ गया जबकि पिछले वर्ष के इसी महीने में यह 26.47 अरब डॉलर रहा था।
ईरान समझौते से झूमा बाजार
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