वाशिंगटन : अवसादग्रस्त व्यक्ति के दिमाग का हिपोकैंपस छोटा हो जाता है। यह खुलासा एक अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन में हुआ है। हिपोकैंपस स्मरण और विभिन्न भावनाओं के लिए जिम्मेदार होता है। अध्ययनकर्ताओं के मुताबिक इस खुलासे से यह समझ में आता है कि किशोरों में अवसाद का तुरंत इलाज होना चाहिए।
अध्ययनकर्ताओं ने यह भी कहा है कि यदि अवसाद का इलाज हो जाए, तो हिपोकैंपस वापस अपने सामान्य आकार में आ जाता है। अध्ययन दल के सदस्य और सिडनी विश्वविद्यालय के ब्रेन एंड माइंड रिसर्च इंस्टीट्यूट के हिकी ने कहा, 'कोई व्यक्ति जितनी अधिक बार अवसाद की चपेट में आता है, उतना ही उसके हिपोकैंपस का आकार सिकुड़ता जाता है।'
समाचार पत्र गार्जियन के मुताबिक, यह अध्ययन दुनियाभर के 15 शोध संस्थानों ने मिलकर किया है। इसमें 8,927 लोगों पर अध्ययन किया गया, जिसमें 1,728 लोग गहरे तौर पर अवसादग्रस्त थे। बाकी लोग स्वस्थ्य थे। शोधार्थियों ने पाया कि 65 फीसदी अवसादग्रस्त लोग ऐसे थे, जो बार-बार अवसादग्रस्त हुए थे। और इन लोगों का हिपोकैंपस दूसरों की अपेक्षा छोटा था।
हिकी ने कहा, 'यदि व्यक्ति बार-बार अवसादग्रस्त हो रहा है और उसका इलाज नहीं हो पा रहा है, तो उसके हिपोकैंपस अधिक क्षतिग्रस्त होता जाता है। सिर्फ दवा से अवसाद का प्रभावी इलाज नहीं हो सकता है। सामाजिक मदद की भी जरूरत होती है।' अध्ययन में कहा गया है, 'किशोरों में अवसाद का इलाज करने के लिए पहले मानसिक चिकित्सा का सहारा लिया जाना चाहिए।
डिप्रेशन से रहें दूर वरना सिकुड़ सकता है आपका दिमाग
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