देश में पिछले एक साल में अलग अलग उत्पादों के कच्चे माल में आई तेजी ने अंतिम उत्पाद बनाने वालों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। इसका असर उपभोक्ताओं पर भी पड़ सकता है। कारोबारियों का आकलन है कि अलग अलग मोर्चे पर इसमें 50 से 110 फीसदी तक की तेजी देखी जा रही है। दामों में आई इस तेजी ने न सिर्फ घरेलू बाजारों की सप्लाई में बल्कि एक्सपोर्ट दोनों मोर्चों पर बड़ा संकट पैदा कर दिया है।

ऑल इंडिया कंफेडेरेशन ऑफ स्मॉल एंड माइक्रो इंडस्ट्रीज एसोसिएशंस के महासचिव सुधीर कुमार झा ने हिंदुस्तान को बताया है कि छोटे कारोबारी सरकारी कंपनियों से माल सप्लाई के लिए लंबे कॉन्ट्रैक्ट करते हैं। आज की तारीख में पिछले एक साल में दाम 100 फीसदी तक बढ़ने के बावजूद डिलीवरी पुराने रेट पर करनी पड़ रही है। उनके मुताबिक ऐसे माहौल में अगर सरकार ने दखल नहीं दिया तो कंपनियों की हालत खस्ता होती जाएगी।

पीवीसी पाइप जैसे उत्पाद 50 फीसदी तक महंगे 

सुधीर झा ने ये भी बताया है कि देश में स्टील, कॉपर, अल्यूमीनियम की कीमतें एक साल में दोगुनी हुईं हैं। वहीं पीवीसी पाइप जैसे उत्पाद 50 फीसदी तक महंगे हुए हैं। इसके अलावा देश के कई इलाकों सीमेंट के दाम भी बड़े पैमाने पर बढ़ गए हैं जो मुश्किलें पैदा कर रहे हैं।

कपड़ों से जुड़े कच्चे माल की कीमत में 60 फीसदी की उछाल

वहीं अपेरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के पूर्व चेयरमैन एचकेएल मगु ने हिंदुस्तान को बताया कि कपड़ों से जुड़े कच्चे माल की कीमत में 60 फीसदी तक इजाफा हो गया है। इस वजह से कारोबारियों के लिए एक्सपोर्ट करना मुनाफे का सौदा नहीं लग रहा है। उनके मुताबिक विदेशों में कोरोना के हालात सुधरने से भारत से मांग लगातार बनी हुई है लेकिन यहां के उत्पाद की लागत वैश्विक बाजार में मिलने वाली कीमतों के मुकाबले ज्यादा है जिससे बिक्री नहीं हो रही है। कारोबारियों की मांग है कि सरकार देश में कच्चा माल सस्ता करने की व्यापक नीति पर तुरंत काम करना शुरू कर दे। साथ ही कच्चे माल के निर्यात पर कम से कम 6 महीने के लिए पाबंदी लगाए तभी कोई समाधान निकल सकता है।