विदेश मंत्रालय ने शनिवार 26 अप्रैल को कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 की औपचारिक घोषणा कर दी. जिसके मुताबिक यात्रा जून से अगस्त 2025 के दौरान आयोजित की जाएगी. पांच साल के अंतराल के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा 30 जून से फिर से शुरू होने जा रही है, जिसे श्रद्धालुओं का लंबा इंतजार खत्म हो गया. यात्रा का संचालन प्रदेश सरकार और विदेश मंत्रालय के संयुक्त प्रयास से किया जाएगा. विदेश मंत्रालय के मुताबिक, इस साल पांच बैच, जिनमें से प्रत्येक में 50 यात्री होंगे. उत्तराखंड से लिपुलेख दर्रे को पार करते हुए यात्रा करेंगे. ऐसे ही 10 बैच, जिनमें से प्रत्येक में 50 यात्री होंगे, सिक्किम से नाथू ला दर्रे को पार करते हुए यात्रा करेंगे. आवेदन स्वीकार करने के लिए http://kmy.gov.in वेबसाइट खोल दी गई है. विदेश मंत्रालय की ओर से एक निष्पक्ष प्रक्रिया के माध्यम से यात्रियों का चयन किया जाएगा और उनको विभिन्न मार्ग एवं बैच आबंटित किए जाएंगे.
मार्ग और बैच में बदलाव नहीं होगा
बताया जा रहा है कि कंप्यूटरीकृत प्रक्रिया के जरिए यात्रियों को एक बार मिले मार्ग और बैच में आम तौर पर बदलाव नहीं होगा. हालांकि अगर जरूरी हो तो चयनित यात्री बैच में परिवर्तन के लिए अनुरोध कर सकते हैं. यह परिवर्तन खाली स्थान उपलब्ध होने पर ही किया जा सकेगा. इस मामले में मंत्रालय का निर्णय ही अंतिम होगा.
कुमाऊं मंडल विकास निगम को देने होंगे 56 हजार रुपए
वहीं इस बार श्रद्धालुओं को कुमाऊं मंडल विकास निगम (KMVN) को 35,000 की जगह 56 हजार रुपए चुकाने पड़ेंगे. KMVN इन पैसे से यात्रियों के आने-जाने, ठहरने और उनके खाने पीने आदि का इंतजाम करेगा. इसके अलावा श्रद्धालुओं को मेडिकल जांच, चीन का वीजा, कुली, तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र और चीन सीमा में अलग से खर्च करना पड़ेगा. कुमाऊं मंडल विकास निगम लिपुलेख दर्रे के रास्ते कैलाश मानसरोवर यात्रा का प्रबंध करता है. इस बार रजिस्ट्रेशन के साथ श्रद्धालुओं को भोजन, आने-जाने और ठहरने के लिए KMVN को 56000 रुपए देने होंगे.
कुमाऊं मंडल विकास निगम करेगा यात्रा का संचालन
उत्तराखंड की ओर से कैलाश मानसरोवर यात्रा का संचालन कुमाऊं मंडल विकास निगम करेगा. यह यात्रा दिल्ली से शुरू होकर पिथौरागढ़ के लिपुलेख पास मार्ग से संचालित की जाएगी. पहला दल 10 जुलाई को लिपुलेख पास से होते हुए चीन में प्रवेश करेगा. अंतिम यात्रा दल 22 अगस्त को चीन से भारत के लिए प्रस्थान करेगा. प्रत्येक दल दिल्ली से प्रस्थान कर टनकपुर, धारचूला में एक-एक रात, गुंजी व नाभीढांग में दो रात रुकने के बाद चीन में प्रवेश करेगा. कैलाश दर्शन के बाद वापसी में चीन से प्रस्थान कर बूंदी, चौकोड़ी, अल्मोड़ा में एक-एक रात रुकने के बाद दिल्ली पहुंचेगा. प्रत्येक दल की 22 दिनों की यात्रा की जाएगी.
2020 से संचालित नहीं हो पाई थी यात्रा
कैलाश मानसरोवर यात्रा कोविड महामारी के कारण साल 2020 से संचालित नहीं हो पाई थी. हालांकि, पांच साल बाद शुरू हो रही है जो श्रद्धालुओं के लिए बड़ी खुशखबरी है. यात्रा फिर से शुरू करने को भारत और चीन द्वारा संबंधों को बेहतर बनाने के प्रयासों के रूप में देखा जा रहा है. पिछले साल अक्टूबर में दोनों देशों ने एक समझौते के तहत डेमचोक और देपसांग के टकराव वाले शेष दो बिंदुओं पर सैनिकों की वापसी पूरी कर ली थी.