मारुति सुजूकी इंडिया (एमएसआईएल) के चेयरमैन आर सी भार्गव ने शुक्रवार को कहा कि भारत में कार की खरीद मुख्य रूप से उन शीर्ष 12 प्रतिशत परिवारों तक सीमित है जिनकी सालाना आय 12 लाख रुपये से अधिक है, जबकि शेष 88 प्रतिशत लोगों के लिए छोटी कारें भी अफोर्डेबल नहीं रह गई हैं।
उन्होंने कंपनी के वित्तीय परिणाम के बाद संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों को बताया, ‘अगर देश के 88 प्रतिशत लोग आय के उस स्तर से नीचे हैं, जहां वे 10 लाख और उससे अधिक कीमत वाली इन कारों को खरीदने में सक्षम नहीं हैं, तो आप ऊंची कार बिक्री वृद्धि कैसे प्राप्त कर सकते हैं? जैसा कि मैंने पहले भी कहा है, नियामकीय उपायों पर अमल करने की ऊंची लागत से छोटी कारें, सस्ती कारें भी इन लोगों के लिए अफोर्डेबल नहीं रह गई हैं।’
उन्होंने कहा, ‘हमने देखा है कि इस चालू वर्ष में, छोटी कारों (सिडैन और हैचबैक) की बिक्री करीब 9 फीसदी तक घटी है। इसलिए, यदि देश में 88 प्रतिशत लोगों द्वारा खरीदी जाने वाली कार श्रेणी में 9 प्रतिशत की गिरावट आई है, तो आप वृद्धि कहां से लाएंगे?’ वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में एमएसआईएल का समेकित शुद्ध लाभ सालाना आधार पर 4.3 फीसदी घटकर 3,711 करोड़ रुपये रह गया। छोटी कारों की बिक्री में लगातार गिरावट और शहरी बाजारों में कमजोर मांग की वजह से शुद्ध लाभ पर यह दबाव पड़ा है।
सायम के आंकड़े के अनुसार भारत में कुल यात्री वाहन बिक्री वृद्धि 2024-25 में 43 लाख वाहन रही, जो एक साल पहले के मुकाबले महज दो फीसदी अधिक है। भार्गव ने कहा, ‘भारत में प्रति 1,000 लोगों में से केवल 34 की ही कारों तक पहुंच है, जो इस संदर्भ में संभवतः दुनिया के किसी भी देश की तुलना में सबसे कम है। एक विकासशील देश के लिए, यात्री वाहनों की बिक्री में प्रति वर्ष मात्र दो से तीन फीसदी की वृद्धि दर से, देश में कारों की पहुंच में कोई खास वृद्धि नहीं हो सकती है। यह कुछ हद तक चिंता का विषय है, खासकर इसलिए क्योंकि जैसा कि सायम ने पूर्वानुमान लगाया है, 2025-26 बेहतर वर्ष नहीं होगा। विकास दर एक से दो प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।’