
छत्तीसगढ़ पुलिस का बस्तर में चलाया जा रहा नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन बीते 40 सालों का सबसे बड़ा एनकाउंटर मना जा रहा है. पुलिस सूत्रों की माने तो इस ऑपरेशन में तेलंगाना, महाराष्ट्र ओर छत्तीसगढ़ के 10 हजार से ज्यादा पुलिस कर्मी शामिल हैं. कार्रेगुटलु के जंगलों में मुठभेड़ चल रही है. असल में यह एक गांव है, जिसके बगल में एक पहाड़ी की श्रृंखला है.
यह श्रृंखला 145 किलोमीटर के दायरे में फैला है, जिसमें लगभग 40 प्रतिशत हिसा जिला मुलगु तेलंगाना में आता है और लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा बीजापुर छत्तीसगढ़ में आता है. आईजी बस्तर पी सुंदराज ने माना है कि नक्सलियों के बटालियन नंबर-1 तेलंगाना स्टेट कमिटी ओर दंडकारण्य के मेंबर वहां हो सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक, नक्सली देवा बटालियन नंबर-1 को लीड करता है. दामोदर, तेलंगाना स्टेट कमिटी का मेंबर और हिड़मा पहले बटालियन नंबर 1 को लीड करता था अभी वह सेंट्रल कमिटी मेंबर बनाया गया है.
ऐसे की गई नक्सलियों के खिलाफ प्लानिंग
ऐसा माना जा रहा है कि ये तीनों खूंखार नक्सली इसी 145 किलोमीटर के दायरे में है. अभी तक 3 महिला माओवादियों की मृत्यु हुई है. लेकिन यह ऑपरेशन एक हफ्ते से लेकर 1 महीने तक चल सकता है. पुलिस सूत्रों के अनुसार, 6 दिन पहले मविष्ठ की तरफ से तेलंगाना में एक प्रेस नोट जारी किया, जिसमें बताया गया कि उक्त गांव के लोग बाहर ना जाएं. क्योंकि, पूरे इलाके में आईडी लगाया गया है. इसको देखते हुए छत्तीसगढ़ पुलिस ने यह निर्णय लिया कि ऑपरेशन शुरू किया जाए. सूत्रों का यह भी मानना है कि अधिकारियों ने तेलंगाना जाकर यह समझा कि कहां से अंदर जाया जा सकता है.
पहाड़ के नीचे बनाए जा रहे कैंप
इंटेलिजेंस के सीनियर सूत्रों के अनुसार, सोमवार की सुबह वहां पर जवानों को एकत्रित करना शुरू किया और यह छोटे छोटे बेस कैंप बनाए. जहां उन्होंने लॉजिस्टिक्स की सभी सुविधाएं रखी. यह कैंप पहाड़ के ठीक नीचे हैं. सूत्रों की अगर माने तो जंगल के अंदर हेलीकॉप्टर से जवानों को भेजा जा रहा है और जो वहां तक गए हैं उन्हें बाहर भी निकाला जा रहा है. यह ऑपरेशन और भी बड़ा हो सकता है, इसीलिए बीजापुर में सीआरपीएफ के बड़े अधिकारियों का जमावड़ा है.
जिसकी पूरी मॉनिटरिंग छत्तीसगढ़ से लेकर दिल्ली तक किया जा रहा है. यह पूरा ऑपरेशन इसीलिए किया जा रहा है, जिससे वहां एक कैंप खोला जा सके. इससे तीनों ही राज्यों की सुरक्षा और मजबूत किया जा सकेगा. साथ ही सबसे खूंखार माओवादियों के सबसे सुरक्षित माने जाने वाले इलाके पर भी नक्सल खात्मे को लेकर ऑपरेशन चलाया जा सकेगा.