
रायपुर: छत्तीसगढ़ के सरकारी कॉलेजों में शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए बड़ी खबर सामने आई है। लंबे समय से प्राचार्य विहीन कॉलेजों में अब स्थायी प्राचार्यों की नियुक्ति की जाएगी। उच्च शिक्षा विभाग के अनुसार नए शैक्षणिक सत्र से पहले सभी रिक्त प्राचार्य पदों को भरने की तैयारी अंतिम चरण में है। वर्षों से अटकी सहायक प्राध्यापकों की पदोन्नति को लेकर लिए गए ऐतिहासिक फैसले से यह संभव हो पाया है।
2018 से अटकी थी पदोन्नति, अब मिली मंजूरी
प्रदेश के सैकड़ों सहायक प्राध्यापक लंबे समय से पदोन्नति का इंतजार कर रहे थे। 452 स्वीकृत पदों पर पदोन्नति प्रक्रिया वर्ष 2018 में शुरू हुई, लेकिन मामला हाईकोर्ट पहुंच गया। वर्ष 2023 में कोर्ट से मंजूरी मिलने के बाद भी प्रक्रिया डीपीसी की फाइलों में ही अटकी रही। लेकिन अब उच्च शिक्षा सचिव डॉ. एस भारतीदासन और आयुक्त संतोष देवांगन के नेतृत्व में यह मामला प्राथमिकता में आ गया है और निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है।
369 सहायक प्राध्यापक बनेंगे प्रोफेसर
उच्च शिक्षा विभाग ने हाल ही में 452 में से 369 सहायक प्राध्यापकों को पदोन्नति के लिए उपयुक्त पाया है। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (पीएससी) से इनकी लिस्टिंग अगले सप्ताह पूरी हो जाएगी, जिसके तुरंत बाद विभाग पदोन्नति और पदस्थापना आदेश जारी कर देगा। इन प्राध्यापकों को 2016 से वरिष्ठता दी जा रही है, जो प्राध्यापक बनने के लिए आवश्यक अनुभव की शर्त को भी पूरा करेगा।
200 से अधिक कॉलेज प्रभारी प्राचार्यों के भरोसे
प्रदेश में कुल 335 सरकारी कॉलेज हैं, जिनमें स्नातक और स्नातकोत्तर दोनों स्तर की पढ़ाई होती है। इनमें से करीब 200 कॉलेज वर्तमान में प्रभारी प्राचार्यों के भरोसे चल रहे हैं। 369 प्राध्यापकों की पदस्थापना के बाद इन कॉलेजों को नियमित प्राचार्य मिल जाएंगे। इससे न सिर्फ प्रशासनिक दक्षता बढ़ेगी, बल्कि शैक्षणिक माहौल भी मजबूत होगा।
हर विधानसभा सत्र में उठे सवाल
प्राचार्य पदों की रिक्तता को लेकर हर विधानसभा सत्र में सवाल उठे और जवाब मिला- “पद रिक्त हैं, प्रक्रिया चल रही है।” लेकिन अब विभाग के इस कड़े फैसले के बाद यह सवाल विधानसभा में नहीं गूंजेगा। हालांकि अभी भी सैकड़ों सहायक प्राध्यापकों के पद रिक्त हैं, जिन पर अगला फोकस किए जाने की जरूरत है।
सीएम साय की समीक्षा बैठक आज
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय आज शाम 6 बजे उच्च शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक करने जा रहे हैं। माना जा रहा है कि इस बैठक में सहायक प्राध्यापकों के रिक्त पदों को भरने पर भी विस्तार से विचार किया जाएगा। अगर ऐसा होता है तो छत्तीसगढ़ में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक नई ऊर्जा का संचार होगा और विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का लाभ मिलेगा।