
जबलपुर : सड़कों पर स्कूल बसों की पार्किंग के मामले में जबलपुर हाईकोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की गाइडलाइन का हवाला दिया गया. हाईकोर्ट जस्टिस सुरेश कुमार कैत व जस्टिस एस धर्माधिकारी की युगलपीठ ने मामले में अनावेदकों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है.
क्या है स्कूल बसों की पार्किंग का मामला?
दरअसल, जबलपुर निवासी अधिवक्ता जसबीन गुजराल सहित अन्य की ओर से ये याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि बचपन बचाओ आंदोलन बनाम भारत सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों की सुरक्षा व उनकी देखभाल के संबंध में आवश्यक गाइडलाइन जारी की थी. इसके बाद 2022 में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा भी गाइडलाइन जारी की गई थी, जिसके अनुसार जिन वाहनों से छात्र स्कूल आते हैं, उनकी पार्किंग स्कूल के अंदर होनी चाहिए.इस संबंध में प्रदेश के सभी कलेक्टर को निर्देश भी जारी किए गए थे, पर इसका पालन नहीं हो रहा.
नहीं हो रहा नियमों का पालन, बच्चों की सुरक्षा को खतरा
याचिका में आगे कहा गया कि शहर के अधिकांश स्कूलों की पार्किंग सड़क में होती है. स्कूली बच्चों को स्कूल के बाहर सड़कों पर उतार दिया जाता है, जिसके कारण सड़क में जाम की स्थिति निर्मित होती है. इससे लोगों को परेशानी का सामना तो करना पड़ता है. साथ ही स्कूल आने वाले बच्चों के साथ भी हादसा हो सकता है.
कलेक्टर, कमिश्नर, एसपी समेत कई को नोटिस
याचिका में मुख्य सचिव, संभागायुक्त, कलेक्टर, निगमायुक्त, पुलिस अधीक्षक यातायात व मध्य प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग को पक्षकार बनाया गया है. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.