मैहर । जब कांग्रेस सरकार अल्पमत में आई तो समर्थन करते नजर आए थे। 2018 के चुनाव में भाजपा से जीत हासिल की। जब कांग्रेस सरकार अल्पमत में आई तो नारायण त्रिपाठी कांग्रेस का समर्थन करते नजर आए थे। उन्होंने मैहर को जिला बनाने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री कमल नाथ को राजी कर लिया था। 2020 में उन्होंने विंध्य प्रदेश बनाने की मांग उठाई। दो माह पूर्व उन्होंने पत्र लिखकर पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय अर्जुन सिंह की प्रतिमा भोपाल में स्थापित करने और सतना में लगी प्रतिमा के अनावरण के लिए पत्र लिखा था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सात मार्च को भोपाल में अर्जुन सिंह की प्रतिमा का अनावरण भी कर दिया है।
नारायण त्रिपाठी पहली बार 2003 में समाजवादी पार्टी के टिकट से विधायक बने थे
2005 में वह समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे।
2008 के चुनाव में सपा की टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन भाजपा से करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा।
2013 में कांग्रेस से टिकट मिला और वे चुनाव जीत गए।
2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से अजय सिंह राहुल को टिकट मिला तो विरोध करना शुरू कर दिया।
2015 में उन्होंने कांग्रेस से त्यागपत्र दिया।
2016 के विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा से लड़कर जीत दर्ज की।
2018 के चुनाव में भाजपा से जीत हासिल की।
कैसा है सतना सीट का इतिहास?
सतना सीट से भाजपा, कांग्रेस और बसपा को सांसद मिले हैं। 1989 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने सतना सीट पर पहली बार उम्मीदवार उतारा था। तब से 2019 तक पिछले तीन दशक में हुए 9 चुनावों में सिर्फ एक बार बसपा चुनाव जीत सकी है। 1996 के चुनाव में बसपा के सुखलाल कुशवाहा ने चुनाव जीता था। उनकी जीत ने राजनीतिक पंडितों को चौंका दिया था। उन्होंने भाजपा उम्मीदवार पूर्व मुख्यमंत्री वीरेंद्र कुमार सखलेचा और कांग्रेस उम्मीदवार पूर्व मुख्यमंत्री कुंवर अर्जुन सिंह को हराया था। सुखलाल को उस समय 1 लाख 82 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। इस चुनव में भाजपा ने यहां गणेश सिंह को टिकट दिया है। नारायण त्रिपाठी के सतना सीट पर उतरने से अब मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।