धार नर्मदा के घाटों पर बाहर से आने वाले शवों का अंतिम संस्कार नहीं होने देने के लिए धार जिले में शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है। इससे शिक्षक परेशान है लेकिन समस्या यह है कि वह अपनी पीड़ा किसी को बता भी नहीं पा रहे हैं। कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए खलघाट और धामनोद के शवों को ही खलघाट श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार और अस्थि विसर्जन की अनुमति रहेगी। इसके अतिरिक्त अन्य शहर या गांव से आने वाले शवों का अंतिम संस्कार और अस्थि विसर्जन प्रतिबंधित रहेगा। इस काम पर सतत निगरानी रखने के लिए विकासखंड शिक्षा अधिकारी धरमपुरी के आठ शिक्षकों को तैनात किया गया है। विकासखंड शिक्षा अधिकारी शिवपालसिंह बैस को नोडल अधिकारी बनाया गया है। शिक्षक नटवर यादव, कमल निरगुड़े, प्रवीण शर्मा, पवन मेरेंट, महेश सूर्यवंशी, विजय शर्मा, सज्जाद खान, जयसिंह चौहान को तैनात किया गया है। यह शिक्षक सुबह 6 बजे से लेकर रात 8 बजे तक बारी-बारी से ड्यूटी देंगे।

नर्मदा घाटों पर हो रही दिक्कत

दरअसल, कोरोना काल में नर्मदा घाटों पर अंतिम संस्कार करने से संक्रमण फैलने का खतरा है। इसके अलावा अंतिम संस्कार के बाद परिवार के लोग पीपीई किट समेत अन्य सामान भी घाटों पर भी छोड़कर जा रह है। इससे घाटों के नजदीकी गांवों में संक्रमण फैलने का खतरा है।

ज्ञापन देकर दर्ज कराया विरोध

ट्रायबल वेलफेयर एसोसिएशन ने विरोध किया है। सोमवार को संस्था की तरफ से एक ज्ञापन कलेक्टर को दिया गया है। इसमें मांग की गई है कि शिक्षकों की ड्यूटी ऐसी जगह पर लगाई तो पहले वहां ड्यूटी करने वाले शिक्षको को कोरोना योद्धा घोषित किया जाए, ताकि उनके साथ किसी प्रकार की कोई अनहोनी होती है तो उन्हें भी शासन की ओर से जो सहायता राशि हो वह दी जाए।
ट्रायबल एसोसिएशन के शैलेंद्र मालवीय ने कहा कि शिक्षक ड्यूटी करने के लिए तैयार हैं, लेकिन शासन की तरफ से उनकी सुरक्षा के लिए कुछ नहीं किया गया है। इस तरह से उनकी ड्यूटी वहां लगाना गलत है। उन्हें कोरोना योद्धा माना जाना चाहिए।
गौरतलब है कि नर्मदा तट कई जगह से लोग आकर संक्रमित शवो का अंतिम संस्कार कर देते हैं, साथ ही यहां सामान्य शवों का अंतिम संस्कार भी किया जाता है। ऐसे में लोगों ने प्रशासन से अन्य लोगों को संक्रमण लगने की बात कही थी। कई लोग अस्थियां नर्मदा जल में विसर्जित कर देते हैं। पानी कम होने पर अस्थियां किनारे पर ही दिखाई देने लगती है। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने शिक्षकों की वहां पर ड्यूटी लगाई कि वे वहां कि व्यवस्था संभालें।