
शहरों में लॉकडाउन; गांवों में कोरोना का खौफ नहीं.. आलीराजपुर में भगोरिया का ऐसा रंग कि पैर रखने की जगह नहीं
आलीराजपुर में भगोरिया मेले में हजारों लोगों की भीड़ उमड़ रही है।
प्रदेश में इस साल पहली बार 1500 नए संक्रमित मिले
मालवा-निमाड़ सहित MP के आदिवासी अंचल में भगोरिया की मस्ती छा गई है। कोरोना के बीच आलीराजपुर जिले में भगोरिया का ऐसा रंग चढ़ा कि मेले में पैर रखने की जगह नहीं थी। आदिवासियों की कुर्राट (विशेष तरह की आवाज निकालना) और मांदल की थाप ने सरकार की मास्क और सोशल डिस्टैंस की अपील को जैसे दबा ही दिया। न चेहरों पर मास्क थे, न दो गज की दूरी। प्रशासन गाइडलाइन का पालन कराते की बात कह रहा है लेकिन तस्वीर कुछ और ही बोल रही हैं। हालांकि आलीराजपुर जिले में पिछले 24 घंटे में एक भी नया केस नहीं मिला है, यह राहत की बात है। लेकिन यदि इसी तरह लापरवाही चली तो मामला बिगड़ सकता है।
दरअसल, सरकार ने निर्देश दिए हैं कि जिन जिलों में रोजाना 20 से अधिक केस मिल रहे हैं, वहां सभी मेले, जुलूस रद्द रहेंगे। चूंकि आलीराजपुर में ऐसी स्थिति नहीं है। वहां 20 मार्च को 4, 21 मार्च को 8 केस मिले हैं जबकि 22 मार्च को एक भी केस नहीं मिला है। ऐसे में मेले में भीड़ जुट गई और गाइडलाइन का पालन कराने का दावा कर रहे अफसरों के हाथ-पैर फूल गए।
शुरुआत हुई है, मालवा-निमाड़ में होली तक चलेंगे ऐसे मेले
एमपी के झाबुआ, आलीराजपुर, धार, बड़वानी आदि जिलों में भगोरिया हाट का सिलसिला शुरू हो गया है जो होली तक चलेगा। बता दें कि कोरोना के चलते खंडवा और खरगोन में लगने वाले भगोरिया मेले पर सरकार ने रोक लगा दी थी। बड़वानी के गजानन भाई ने कोरोना के कारण इंदौर हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। तर्क दिया था कि कोरोना फैलने के डर से इस बार भगोरिया मेला नहीं लगाया जाए। वहीं, कोर्ट में प्रशासन ने पक्ष रखते हुए कहा था कि मेला वर्षों पुराना है। आलीराजपुर में बहुत ज्यादा केस भी नहीं हैं। मेले में कोरोना गाइडलाइन का पालन कराया जाएगा। हाईकोर्ट ने गाइडलाइन का पालन कराने की शर्त पर मेला लगाने की इजाजत दे दी थी।
ढोलक और मांदल की थाप पर लोग मेले में झूमते रहे।
जानकारी के मुताबिक यहां के कई आदिवासी लोग जिले से लगे गुजरात में जाकर काम करते हैं। त्योहार के मौके पर करीब एक महीने पहले ही ये लोग जिले में आ जाते हैं। मेले में हाट लगने के कारण यहां से खरीदारी भी करते हैं।
मेले में पैर रखने को जगह नहीं
जिला मुख्यालय पर हाट के पहले और दूसरे दिन सुबह से ग्रामीण खरीदारी करने उमड़े। सुबह 11 बजे तक तो सब सामान्य था। इसके बाद अचानक भीड़ उमड़ पड़ी। बड़ी संख्या में लोग अलीराजपुर पहुंचे। प्रमुख सड़कों पर इतनी भीड़ रही, पैर रखने तक की जगह नहीं मिल रही थी। जगह-जगह लोग ढोल-मांदल और बांसुरी की धून पर थिरकते नजर आए। मेले में भी लोगों ने जमकर झूलों का लुत्फ उठाया व खरीदारी की।
आगे यहां भी मेले जहां ज्यादा भीड़ आएगी
इसके बाद से मेला रविवार शुरू हो गया। ये मेला 28 मार्च तक चलेगा। मंगलवार को बखतगढ़, आम्बुआ, अंधारवड़, पिटोल, खरड़ू, थांदला, तारखेड़ी और बरवेट में मेले का आयोजन किया गया। मेले में आसपास के गांव के हजारों लोग आ रहे हैं। प्रशासन का दावा है कि यहां गाइडलाइन का पालन कराया जा रहा है। सुबह 9 बजे से ही मेले मं लोगों का आना शुरू हो जाता है। भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने 3 बजे तक ही मेला लगाने के निर्देश दिए हैं।
बंद कराने पर विवाद करने लगते हैं लोग
हालांकि प्रशासन की टीमें दोपहर ढाई बजे ही मेले में लगे झूलों को बंद कराने में जुट जाती हैं, लेकिन मेले को पूरी तरह बंद कराते-कराते 5 बज जाते हैं। बंद कराने के दौरान कई बार विवाद की स्थिति भी बनती है। कलेक्टर सुरभि गुप्ता का कहना है कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के लिए टीमें लगी हैं। दोपहर 3 बजे तक दुकानें बंद करवा रहे हैं। मास्क के लिए जागरूक किया जा रहा है। त्योहार का समय होने से दिक्कतें आ रही हैं।
सड़कों पर आदिवासी युवा इस तरह झूमते रहे।
झाबुआ-आलीराजपुर में कोरोना
बता दें कि झाबुआ में अब तक कुल कोरोना के 2700 केस सामने आ चुके हैं। रोजाना करीब 4 से 5 नए केस आ रहे हैं। वर्तमान में 32 एक्टिव केस हैं। वहीं, आलीराजपुर में अब तक करीब 1358 केस मिले हैं। यहां 22 केस एक्टिव हैं। अब तक 16 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 1320 लोग ठीक हो चुके हैं।
पारंपरिक वेशभूषा के साथ फैशन
ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले लोग पारंपरिक वेशभूषा में पर्व का आनंद लेते दिखे। वहीं, युवक-युवतियां नए फैशन के कपड़ों में भी नजर आए। हाट गली, एमजी रोड, राजवाड़ा, बहारपुरा, बस स्टैंड, टॉकिज चौराहा सभी जगह सड़कें भीड़ से पटी दिखी।
खरगोन : सख्ती के कारण नहीं दिख रहे मांदल, कलेक्टर बोले- गल्ली मोहल्ले में ही बजाओ
निमाड़ के खरगोन जिले में बिस्टान के हाट में ढोल-मांदल नदारद दिखाई दिए। सामान्य रूप से हाट भरा। यहां पर कलेक्टर ने निर्देश दिए हैं कि ढोल-मांदल या भीड़ करना प्रतिबंधित है। यदि लोग पर्व मनाना चाहते हैं तो अपने घर के सामने या गली-मोहल्ले में ढोल-मांदल बजा सकते हैं। गौरतलब है कि यहां रोजाना 20 से अधिक केस आ रहे हैं जिसके चलते सरकार ने मेले-जुलूस पर रोक लगा रखी है। आज भीकनगांव में मेले में भी यही स्थिति नजर आई।