अशोकनगर । चुनाव टिकट घोषणा के बाद विचारधारा भी बदल जाती है। इसका उदाहरण इन दिनों जिले के सियासी गलियारों में लगातार देखने को मिल रहा है। दो दिन पहले कांग्रेस से नाराज होकर इस्तीफा देने वाली पूर्व नेता प्रतिपक्ष अनीता जैन और उनकी बहु आशा दोहरे ने सोमवार को ग्वालियर के जयविलास पैलेस में पहुंचकर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समक्ष भाजपा ज्वाइन कर ली।
सिंधिया पर लगाए थे आरोप
उल्लेखनीय है कि ये वे ही अनीता जैन हैं जिन्होंने उपचुनाव के दौरान कांग्रेस में रहते हुए सिंधिया पर टिकट वितरण में 50 लाख रुपए के आरोप लगाए थे। जिले में राजनैतिक दलों में शामिल लोगों की पार्टियों के प्रति बदलती विचारधारा के लगातार मामले सामने आ रहे हैं।
नेता प्रतिपक्ष अनीता जैन केंद्रीय मंत्री सिंधिया की नजदीकी रहीं थीं
बीते 30 सालों से शहर में कांग्रेस पार्टी की राजनीति में सक्रिय चेहरा रहीं नेता प्रतिपक्ष अनीता जैन केंद्रीय मंत्री सिंधिया की नजदीकी रहीं थीं। लेकिन वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में वे अपनी बहु आशा दोहरे को टिकट दिलाने में असफल रहीं तो इसके बाद भी कांग्रेस में बनी रहीं, लेकिन वर्ष 2020 में सिंधिया के कांग्रेस से जाने के बाद जिले से बड़ी संख्या में सिंधिया समर्थक नेताओं का विलय भाजपा में हो गया।
बहू को बनाया था कांग्रेस प्रत्याशी
उस दौरान अनीता जैन कांग्रेस के झंडे को थामे खड़ी रहीं। इस खुद्दारी का इनाम भी पार्टी ने देते हुए उपचुनाव में उनकी बहू को कांग्रेस प्रत्याशी बनाया। लेकिन इस विधानसभा चुनाव में पार्टी द्वारा टिकट नहीं देने के बाद दो दिन पहले अनीता जैन और उनकी बहु से इस्तीफा देते हुए सोमवार को भाजपा ज्वाइन कर ली।
भाजपा ज्वाइन कर बोली अनीता, भूल हुई थी सुधार रहे हैं
भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने के बाद अनीता जैन ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उस दौरान हमसे भूल हो गई थी जिसको अब सुधार रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब कभी भी हम महाराज का साथ नहीं छोड़ेंगे। केंद्रीय मंत्री के समक्ष भावुक हुई अनीता भावुक नजर आईं। वहीं उन्होंने कहा कि कांग्रेस में लगातार उपेक्षा के कारण पार्टी छोड़ी है और अब जिंदगी भर महाराज का साथ नहीं छोड़ेंगे।
पार्टी छोड़ते वक्त ये लगाए थे आरोप
उल्लेखनीय है कि दो दिन पहले ही अनीता जैन, उनकी बहु आशा और पुत्र विकास जैन ने पार्टी की सदस्तया से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद मीडिया से बातचीत में बताया था कि कांग्रेस प्रत्याशी की घोषणा के बाद उनको दूध में से मख्खी की तरह निकाल कर फैंक दिया गया है। न तो उनसे संगठन के किसी पदाधिकारी ने संपर्क किया न ही विधानसभा प्रभारी ने। पार्टी नेतृत्व की इस उपेक्षा के चलते उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा देने की बात कही थी।