लव जिहाद पर कानून और गो-कैबिनेट जैसे फैसलों से BJP हाईकमान खुश; बैलेंस पॉलिटिक्स करने वाले शिवराज को अब बंगाल में मौका
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान रविवार को पश्चिम बंगाल के प्रवास पर रहेंगे। वे हावड़ा साउथ में परिवर्तन रैली करेंगे। इस दौरान मुख्यमंत्री की सभाएं भी होंगी।
मप्र में लव जिहाद के खिलाफ कानून लागू करने के बाद देश में शिवराज की बदल रही उदार नेता की छवि
MP की तिकड़ी, विजयवर्गीय, नरोत्तम व प्रहलाद पटेल के बाद अब CM शिवराज भी बंगाल के मैदान में
बीजेपी पश्चिम बंगाल चुनाव में नंबर टू से नंबर वन पार्टी बनने की कवायद में है। वहीं, ममता बनर्जी के सामने अपनी सत्ता बचाए रखने की चुनौती है। बीजेपी के तरकश में हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के मुद्दे हैं तो जवाब में ममता उसी मां, माटी और मानुष के भरोसे हैं। बंगाल चुनाव में बीजेपी मप्र की तिकड़ी (राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, गृहमंत्री डाॅ. नरोत्तम मिश्रा और केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल) को पहले ही जिम्मेदारी मिली हुई है। अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मैदान में उतारा जा रहा है। मुख्यमंत्री रविवार 28 फरवरी को हावड़ा साउथ में परिवर्तन रैली करेंगे। इसके अलावा उनकी सभााएं भी आयोजित की गई हैं।
बीजेपी सूत्रों ने बताया कि मप्र में लव जिहाद के खिलाफ कानून लागू करने वाला मप्र देश में दूसरा राज्य है। इससे पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे राज्य में लागू किया था। हालांकि इस कानून को बनाने की घोषणा शिवराज सिंह चौहान ने की थी। मध्य प्रदेश में इस कानून के लागू होने के बाद देश में शिवराज की नरमपंथी वाली छवि बदली है और हिंदुत्व एजेंडे पर चलने वाले नेताओं की लिस्ट में वे शामिल हो गए।
बीजेपी बंगाल में हिदुत्व एजेंडे पर चुनाव मैदान में है। यही वजह है कि शिवराज और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सभाएं और रैली कराई जा रही हैं। जानकारी के मुताबिक शिवराज के बाद योगी 2 मार्च को बंगाल में हिंदुत्व की हुंकार भरेंगे। यहां उनकी रैली और सभाएं हाेगी।
जानकार कहते हैं कि शिवराज अब अपनी छवि से इतर पार्टी के बारे में सोचने लगे हैं। इसी के चलते शिवराज सरकार ने पहले गौ-कैबिनेट का गठन किया और अब लव जिहाद के खिलाफ कानून को लागू किया। इससे मध्य प्रदेश में सुस्त पड़ चुके हिंदुत्व के एजेंडे को नई धार देने बीजेपी तैयार है।
हिंदुत्व से बचते थे शिवराज
मध्य प्रदेश को हिंदुत्व के हिसाब से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है लेकिन अभी तक शिवराज की छवि हिंदुत्व के प्रचारक की नहीं थी। क्योंकि शिवराज इफ्तार पार्टी में टोपी भी पहनते थे और अल्पसंख्यकों के लिए भी कई सकारात्मक निर्णय ले चुके थे। शिवराज बैलेंस बनाकर चलते रहे हैं, जिससे उनकी छवि एक सर्वसम्मति वाले नेता की बने, लेकिन उन्हें और उनकी पार्टी को इसका नुकसान ही हुआ है।
इसलिए बीजेपी के कोर एजेंडे में शामिल हुए शिवराज
शिवराज अपनी छवि को लेकर सतर्क थे लेकिन उनके इन कदमों का नुक़सान बीजेपी को हुआ। सवर्णों का मोह धीरे-धीरे शिवराज से भंग होने लगा था और नतीजा ये हुआ कि बीजेपी को 2018 विधानसभा चुनाव में हार का मुंह तक देखना पड़ा। शिवराज को एहसास हो गया था कि अब सवर्ण उनसे नाराज हैं। ऐसे में कांग्रेस सरकार टूटने के बाद शिवराज ने अपनी अल्पमत की सरकार में तो हिन्दुत्व से जुडा़ कोई निर्णय नहीं लिया लेकिन बहुमत हासिल करते ही अपनी छवि को नजरअंदाज कर वो निर्णय लेने शुरू किए जो बीजेपी के कोर एजेंडे में शामिल हैं।