भोपाल । प्रदेश की राजधानी भोपाल में मेट्रो रेल का काम इंदौर शहर से आगे चल रहा है। अभी तक भोपाल मेट्रो का 30 फीसद तो इंदौर का मात्र 10 फीसद काम हुआ है, जबकि भोपाल और इंदौर मेट्रो की नींव एक साथ डली थी।विगत 27 महीने में 112 पिलर और 25 गर्डर डाले जा चुके है, लेकिन इंदौर मेट्रो का 10 फीसद काम भी पूरा नहीं हो पाया है। अभी पिलर खड़े होने का ही काम चल रहा है। इधर, भोपाल मेट्रो के डिपो बनाने के लिए जमीन का परीक्षण हो चुका है। इसके आधार पर मेट्रो का मॉडल बनाने की तैयारियां शुरू हो गई है। बता दें कि मेट्रो का डिपो बनाने के लिए 85 एकड़ जमीन मांगी गई थी लेकिन प्रशासन ने 65 एकड़ जमीन आरक्षित की है। वहीं संबंधित विभागों से प्री एनओसी लेकर डिपो का काम किया जा रहा है। इधर, एम्स से करोंद तक के 16.5 किलोमीटर लंबे मेट्रो के पहले रूट का काम भले ही बड़ी तेजी से चल रहा हो, लेकिन इसके रूट व स्टेशन 16 बड़ी चुनौतियां हैं। वर्तमान में इन चुनौतियों पर चर्चा तो हो चुकी है सर्वे भी हो चुका है लेकिन जमीन आरक्षण के लिए प्रस्ताव नहीं आया है। इनमें सबसे बड़ी चुनौती अंडरग्राउण्ड रूट और स्टेशन बनाने के लिए आरा मशीनों की शिफ्टंग और नर्मदा आईस फैक्ट्री और पुट्ठा मिल को लीज पर आवंटित जमीन को वापस लेना है। विशेषज्ञों की माने तो जितनी जल्दी इन चुनौतियों का समाधान होगा, उतनी ही जल्दी रूट और स्टेशन बन सकेंगे। इनमें से दो से अधिक जगहों की जमीनों विवाद तो सिविल कोर्ट और हाईकोर्ट में चल रहे हैं। जब तक हाईकोर्ट से निर्णय नहीं आता, तब तक यहां न तो स्टेशन बन सकेगा और न ही एलीवेडेट रूट के लिए पिलर खड़े हो सकेंगे। विशेषकर बोगदा पुल पर मेट्रो स्टेशन बनाने के लिए ग्लू फैक्ट्री की जमीन अधिग्रहीत होनी है। वर्तमान में इस जमीन का मामला कोर्ट में लंबित है। मालूम हो कि देश में सबसे बेहतर मेट्रो का मॉडल नागपुर ही है। यहां पर पहली कामर्शियल 9 मार्च 2019 को और 50 महीने में 25 किमी का रूट तैयार हो गया था। नागपुर मेट्रो का भूमिपूजन 31 मई 2015 को हुआ था और 21 अप्रैल 2018 को छह किमी की जॉय राइड शुरू कर दी गई थी।
इंदौर से आगे चल रहा है भोपाल मेट्रो का काम
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