भोपाल।राज्य सरकार के विभागों एवं कार्यालयों में कार्यरत अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा वेतन,भत्ते आदि विभिन्न मसलों पर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की प्रवृत्ति पर रोक लगाने एवं मुकदमों की बाढ़ रोकने के लिये वर्ष 2018 में राज्य मुकदमा नीति बनाई गई जिसके तहत हर विभाग एवं जिलों में आंतरिक शिकायत निवारण प्रणाली तथा विभाग स्तरीय सशक्त समिति के गठन का प्रावधान किया गया है। परन्तु दो साल बीतने पर भी कुछ ही विभागों एवं जिलों द्वारा ये आंतरिक समितियां बनाने पर हाईकोर्ट की एरियर कमेटी सह केस मेनेजमेंट स्टेट कोर्स मेनेजमेंट सिस्टम समिति ने असंतोष व्यक्त किया है।
दरअसल आंतरिक समितियों के गठन का प्रावधान इसलिये किया गया है ताकि अधिकारी एवं कर्मचारी हाईकोर्ट जाने से पहले इस समिति को अभ्यावेदन दें तथा यहां मामला न निपटने पर ही हाईकोर्ट जायें। इससे हाईकोर्ट में मुकदमों की अनावश्यक संख्या नहीं बढ़ेगी।
हाईकोर्ट समिति द्वारा अब तक ज्यादातर विभागों एवं जिलों में आंतरिक शिकायत निवारण समितियां न बनने पर असंतोष व्यक्त करने की सूचना राज्य के विधि विभाग ने सभी विभाग प्रमुखों एवं जिला कलेक्टरों को जारी की है तथा कहा है कि निकट भविष्य में स्वयं हाईकोर्ट द्वारा इन समितियों के गठन के बारे में प्रगति रिपोर्ट ली वीसी के जरिये ली जाना है इसलिये जहां-जहां ये समितियां नहीं बनी हैं, वहां-वहां इनका गठन कर इसकी रिपोर्ट भेजें।
हाईकोर्ट समिति द्वारा व्यक्त असंतोष की सूचना जारी होने के बाद उच्च शिक्षा, स्कूल शिक्षा एवं जल संसाधन विभाग ने आंतरिक शिकायत निवारण समितियां गठन करने की पहल की है। शेष विभाग एवं जिला भी इस ओर अग्ररसर हो रहे हैं।