हाईकोर्ट ने मुरैना कलेक्टर पर 10 हजार का जुर्माना ठोंकते हुए कहा- रासुका लगाते समय बुद्धि का इस्तेमाल नहीं किया
कलेक्टर और शासन को 10 हजार रुपए का जुर्माना 30 दिन के भीतर जमा करना होगा
जेल में बंद व्यक्ति पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की कार्रवाई निजी स्वतंत्रता के मूलभूत अधिकार का हनन
जेल में बंद मुरैना के दूध कारोबारी अवधेश शर्मा पर रासुका की कार्रवाई को मप्र हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने नियम विरुद्ध मानते हुए निरस्त कर दिया है। दूध कारोबारी ने रासुका लगाने की कार्रवाई को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस शील नागू और जस्टिस आनंद पाठक की डिवीजन बेंच ने कहा- जेल में बंद व्यक्ति पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की कार्रवाई करना निजी स्वतंत्रता के मूलभूत अधिकार का हनन करने जैसा है।
ऐसा प्रतीत होता है कि रासुका लगाते समय बुद्धि का प्रयोग नहीं किया गया। कोर्ट ने शासन और कलेक्टर को 30 दिन के भीतर 10 हजार रुपए का अर्थदंड भरने का आदेश दिया। यह राशि याचिकाकर्ता को दी जाएगी।
जानिए प्रशासन ने क्या चूक की
1. दूध कारोबारी अवधेश शर्मा को पुलिस ने 1 दिसंबर 2020 को हिरासत में ले लिया था। 2 दिसंबर को कलेक्टर मुरैना ने रासुका लगाई। कोर्ट ने इसे गलत माना।
2. रासुका के सेक्शन 8 में संबंधित व्यक्ति को उसके खिलाफ की गई कार्रवाई का आधार बताना होता है। इस प्रक्रिया की अनदेखी की गई।
3. रासुका की कार्रवाई की पुष्टि के लिए जिले से राज्य को और वहां से केंद्र को प्रस्ताव भेजा जाता है। केंद्र से स्वीकृति मिलने के बाद रासुका की कार्रवाई को वैध माना जाता है। प्रशासन ने इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया।