ग्वालियर। जीआरएमसी से बर्खास्त छात्रों को हाईकोर्ट से अंतरिम राहत मिल गई है। हाईकोर्ट ने 27 छात्रों को 7 मई से शुरू हो रही एमबीबीएस की परीक्षा में बैठने की अनुमति दी है, लेकिन उनका रिजल्ट एमसीआई की गाइड लाइन के अनुसार घोषित किया जाएगा।

साथ ही परीक्षा दिलाने में एमसीआई के रूल्स का भी ध्यान रखा जाएगा। वहीं कोर्ट ने अन्य छात्रों को इंटर्नशिप की अनुमति देने से इनकार कर दिया। याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति राजेन्द्र मेनन व न्यायमूर्ति यूसी महेश्वरी ने की।

जीआरएमसी ने हाल ही में पीएमटी फर्जीवाड़े के आरोप में फर्जी छात्रों को बर्खास्त किया था। इस कार्रवाई के बाद वे कॉलेज से बाहर हो गए थे। 7 मई से एमबीबीएस की परीक्षा शुरू हो रही है। 27 छात्रों ने हाईकोर्ट में इसे लेकर याचिका दायर की।

उन्होंने अपनी याचिकाओं में बताया था कि एफआईआर दर्ज होने से उन्हें दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। अभी तक किसी कोर्ट का फैसला भी नहीं आया है। जीआरएमसी ने गलत तरीके से बर्खास्त किया है। इसलिए इस आदेश को समाप्त किया जाए और परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाए। इस पर जीआरएमसी की ओर से बताया गया कि एमबीबीएस का परीक्षा फॉर्म भरने की आखिरी तारीख 17 अप्रैल थी।

वह निकल चुकी है। अब उनकी परीक्षा कराना मुश्किल है। सीबीआई के अधिवक्ता असिस्टेंट सॉलिसीटर जनरल विवेक खेड़कर ने बताया कि इन छात्रों ने फर्जी तरीके से पीएमटी पास की थी। इसलिए छात्रों पर अपराधिक प्रकरण दर्ज हैं। इसलिए उन्हें कोई रियायत नहीं दी जा सकती है। जीवाजी विश्वविद्यालय की अधिवक्ता अनुराधा सिंह ने बताया कि यह मामला जीआरएमसी का इंटर्नल मामला है।

जेयू हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार ही रिजल्ट घोषित करेगी, लेकिन इस याचिका में एमसीआई को पार्टी नहीं बनाया है। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अंतरिम आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि अभी ये छात्र दोषी साबित नहीं हुए हैं। अगर दोषमुक्त हो गए तो उनका समय वापस नहीं लौटाया जा सकता है। इसलिए विश्वविद्यालय व मेडिकल कॉलेज के डीन इन छात्रों के परीक्षा में बैठने की व्यवस्था करें।

कोर्ट ने ये दिए आदेश

- जिन छात्रों के परीक्षा फॉर्म नहीं भरे हैं, वे सात दिन में अपना परीक्षा फॉर्म जमा करें। उन्हें 7 मई से शुरू हो रही परीक्षा में शामिल होने की सशर्त अनुमति दी है।

- विश्वविद्यालय परीक्षा फॉर्म के साथ आए दस्तावेजों की जांच करेगा। परीक्षण के बाद जो छात्र पात्र हैं, उसे ही आगे की परीक्षा दिलाई जाए।

- एमसीआई की गाइड लाइन के अनुसार कोई छात्र अयोग्य पाया जाता है तो विश्वविद्यालय उसका रिजल्ट घोषित करने के लिए बाध्य नहीं है।

- सूरवीर सिंह व कुलदीप ने इंटर्नशिप करने के लिए याचिका दायर की थी, लेकिन कोर्ट ने उन्हें इनंटर्नशिप कराने से इनकार कर दिया।