इंदौर। पीपल्याहाना तालाब बचाने के लिए रविवार को तालाब बचाओ समिति और रहवासियों ने अनूठा प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी अपने-अपने शर्ट और कुर्ते उतारकर तालाब के पानी में उतर गए। उन्होंने तालाब बचाने के संदेश लिखी तख्तियां ले रखी थीं। प्रदर्शन की अगुआई कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने की। इससे पहले तालाब किनारे मुख्य मार्ग के फुटपाथ पर सभी ने धरना दिया।
तस्वीरों में देखें : तालाब को बचाने पानी में उतरे लोग
दो दिन पहले मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद तालाब बचाओ समिति और कांग्रेस ने अपने पीपल्याहाना चौराहे पर चक्काजाम का अपना इरादा तो बदल दिया, लेकिन तालाब किनारे धरना जरूर दिया। इस गैर राजनीतिक प्रदर्शन में सभी पार्टियों के नेताओं को भी बुलाया गया था। तालाब बचाओ समिति ने मुख्यमंत्री के आश्वासन का तो स्वागत किया, साथ ही यह मांग भी कि जब तक तालाब की जमीन से खंभे, जेसीबी मशीन और कंस्ट्रक्शन कंपनी का शेड नहीं हटता और यहां काम नहीं रुकता, हमें कैसे विश्वास होगा कि सरकार तालाब को बचाना चाहती है।
कांग्रेस विधायक पटवारी ने कहा कि कांग्रेस के साथ ही शहर के भाजपा नेता और विधायक भी इस तालाब को बचाना चाहते हैं, लेकिन उनकी मजबूरी है कि वे अपनी ही सरकार के खिलाफ बोल नहीं सकते, पर वे जहां भी रहें तालाब बचाने के लिए प्रयास करें। विधायक ने तालाब बचाने की मुहिम को राजनीति से परे एक सामाजिक मुद्दा बताया। उनके आह्वान पर पीपल्याहाना गांव के पुश्तैनी रहवासियों और आसपास की कॉलोनियों के लोगों ने तालाब के पानी में उतरकर विरोध दर्ज कराया।
तालाब बचाओ समिति के केसी पटेल ने कहा कि तालाब के लिए हमने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री सबको पत्र लिखे, लेकिन किसी की ओर से अब तक कोई जवाब नहीं आया। अभी तालाब की जमीन पर कोई निर्माण नहीं हुआ, इसलिए सरकार जिला कोर्ट के लिए जमीन बदल सकती है।
आम आदमी पार्टी के हेमंत जोशी ने कहा कि मुख्यमंत्री हनुमंतिया के जलोत्सव की तो मार्केटिंग कर रहे हैं, लेकिन पीपल्याहाना तालाब को बचाने की कोई बात नहीं करते। शासन जिला कोर्ट के लिए पोद्दार प्लाजा की जमीन दे, पर यह जमीन एक प्राइवेट फर्म को दे दी गई है।
... तो 18 से भूख हड़ताल पर बैठूंगी
कांग्रेस की प्रदेश सचिव बिंदु डांगोर ने कहा कि एक ओर मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है तो दूसरी ओर एनजीटी में भी तालाब के लिए केस दायर है। हम 17 फरवरी तक इंतजार करेंगे, यदि मामले का सकारात्मक हल नहीं निकला तो मैं 18 फरवरी से तालाब किनारे भूख हड़ताल शुरू करूंगी। क्रमिक रूप से शुरू होने वाली इस हड़ताल में कई महिलाओं ने शामिल होने के लिए कहा है।
पहले बचाए जाते थे, अब मिटाए जाते हैं तालाब
पीपल्याहना गांव के डॉ. एनआर जामले ने कहा कि पहले राजा-महाराजा अपने राज्य में तालाब, बावड़ी, धर्मशालाएं बनाते थे। वृक्षारोपण करते थे। पहले तालाब बचाए जाते थे, अब तालाब मिटाए जाते हैं। यह सरकार का कैसा रवैया है? धरना प्रदर्शन को आशीष चौधरी, गोपाल मित्तल, बृजमोहन अग्रवाल, प्रमोद द्विवेदी, युवक कांग्रेस के अमन बजाज, महिला कांग्रेस अध्यक्ष शशि यादव, राकेश दुबे आदि ने भी संबोधित किया।
तालाब बचाने के लिए कमीज और कुर्ते उतारकर पानी में उतरे प्रदर्शनकारी
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