इंदौर। मरीजों की जांच करना, दवाईयां लिखना। यह एक आम डॉक्टर की दिनचर्या है, लेकिन डॉ. ब्रजेंद्र बसेर की दिनचर्या में मरीजों की तलाश और विभिन्न तरीकों से उनकी मदद भी शामिल है। हर रोज वे ऐसे बच्चों की तलाश में निकलते हैं जिन्हें सुनने या बोलने में दिक्कत है।
इन मरीजों की तलाश में वे कभी बस्तियों में पहुंचते हैं तो कभी अस्पतालों में शिविर लगाते हैं। नाक-कान-गला रोग और थाइराइड स्पेशलिस्ट के रूप में वे 30 साल से काम कर रहे हैं। इंदौर में सेवाएं देते हुए उन्हें 15 साल से ज्यादा समय हो चुका है। डॉक्टरों की ट्रेनिंग के लिए भी वे लगातार कार्यक्रम चलाते रहते हैं।
'नईदुनिया' के कार्यक्रम स्वास्थ्य समाधान के तहत शुक्रवार को उन्होंने नईदुनिया के कर्मचारियों और उनके परिजन की सेहत जांची। उन्होंने बताया कि सामान्यतः माता-पिता बच्चे की बोलने-सुनने की क्षमताओं का आंकलन नहीं कर पाते हैं जबकि थोड़ा-सा ध्यान देकर भविष्य की बीमारियों को टाला जा सकता है। एक स्वस्थ्य बच्चे में तीन माह की उम्र में सुनने-बोलने के लक्षण दिखाई पड़ते हैं। सामान्य से ज्यादा आवाज होने पर बच्चा रिएक्शन नहीं दे तो अभिभावकों को तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
डॉ. बसेर ने बताया कि मूक बधिर बच्चों के लिए कॉकलिनियर इंप्लांट एक अच्छा विकल्प है, लेकिन इसका खर्च इतना ज्यादा है कि गरीब परिवार इसे वहन नहीं कर पाते। सरकार 6 साल की उम्र तक के बच्चों की यह सर्जरी मुफ्त कराती है। यही वजह है कि डॉ.बसेर हर रोज ऐसे बच्चों की तलाश में जुटते हैं। इसके अलावा वे डॉक्टरों के लिए नियमित रूप से स्पेशल ट्रेनिंग कैंप लगाते हैं। शिविरों में डॉक्टरों को नाक-कान-गला रोग से देश-विदेश में आ रही आधुनिक तकनीकों के बारे में जानकारी दी जाती है। उन्हें लाइव सर्जरी भी दिखाई जाती है ताकि वे विशेषज्ञता हासिल कर सकें।
हर दूसरा मरीज है मरीज
अस्पताल पहुंचने वाला हर दूसरा मरीज सर्दी-खांसी से पीड़ित है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर सर्दी-खांसी से आसानी से मुकाबला किया जा सकता है। यह कहना है कि नाक-कान-गला रोग विशेषज्ञ डॉ.ब्रजेंद्र बसेर का। नईदुनिया में कर्मचारियों और उनके परिजन की स्वास्थ्य जांच के बाद उन्होंने स्वस्थ्य जीवन जीने के गुर भी बताए। थाइराइड के बारे में बताया कि सामान्यतः हम इसे गंभीरता से नहीं लेते। यही लापरवाही बड़ी बीमारी को जन्म देती है। जागरुकता की वजह से शहरी क्षेत्रों में तो शरीर में बड़ी गठानों की बीमारी कम हुई, लेकिन अब भी ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने की जरूरत है। कार्यक्रम में ऑडियोलॉजिस्ट आदित्य कुमार ने सुनने की क्षमता की जांच की।
डॉ.बसेर ने बताए ये लक्षण
- शरीर अचानक दुबला या मोटा होने लगे तो आप थाइराइड के मरीज हो सकते हैं।
- दिल की असामान्य धड़कन, सामान्य से अधिक नींद या सुस्ती आना भी इसके लक्षण हैं। ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से मिलें।
- सर्दी-खांसी से बचने के लिए मुंह पर मास्क लगाएं। छींकते-खांसते वक्त मुंह पर रूमाल रखें। बार-बार साबुन से हाथ धोते रहे।
जब फोन पर एक ही बात बार-बार पूछे तो समझो सुनने की क्षमता कम हो गई
- अगर आप फोन पर एक ही बात बार-बार पूछते हैं तो हो सकता है कि आपकी सुनने में क्षमता कम हो।
- सामान्य से अधिक आवाज में टीवी देखना या रेडियो सुनना भी बीमारी के लक्षण हैं।
- बगैर जांच कराए सुनने की मशीन इस्तेमाल घातक हो सकता है। ऐसे में काम की क्षमता खत्म हो सकती है।
- कम सुनने की बीमारी महिलाओं के मुकाबले पुरूषों में अधिक पाई जाती है।
डॉक्टर बसेर रोज करते हैं मूक - बधिर बच्चों की तलाश
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