ग्वालियर। फैंसीडिल की छोटी सी बॉटल वैसे हो तो खासी के मर्ज की कारगर दवा है। लेकिन इसमें नशा शराब की आधी बोतल से अधिक है। यही वजह है कि नशेड़ियों की यह खास पसंद है। पड़ोसी मुल्कों के नशेड़ी भी फैंसीडिल के दीवाने हैं। यहां 105 रुपए में मिलने वाली 100 एमएल की कफ सीरप की बॉटल बांग्लादेश में 1000 से 1200 रुपए में मिलती है।

इंदौर में पहले बनने और अब डिस्ट्रीब्यूट होने वाली यह दवा बांग्लादेश के रास्ते से आने वाले नकली नोटों के बदले भेजी जाती है। दिल्ली व बिहार में पहुंचने पर इसके दाम दोगुने हो जाते हैं। सीरप में नशे के कंटेंट अधिक होने के कारण ही इसकी तस्करी हो रही है और शहर के कई केमिस्ट इससे जुड़े हैं।

अब हिमाचल में प्रोडक्शन

फैंसीडिल कफ सीरप का निर्माण तो इन दिनों हिमाचल में हो रहा है लेकिन प्रदेश का डिस्ट्रीब्यूटर इंदौर में है। पहले इंदौर की निकोलस पीरामल कंपनी इसका प्रोडक्शन करती थी।

इतनी मात्रा है नशे की

100 एमएल की बॉटल में 10 एमएल कोडीन फास्फेट रहता है। जिससे नशा होता है। सीरप नशे का सबसे बड़ा कंटेंट यही है। फैंसीडिल का दिल्ली व अन्य राज्यों के अलावा सबसे अधिक बांग्लादेश, नेपाल व पाकिस्तान में इसकी डिमांड है।

देश के बाहर बढ़ जाती है कीमत

इंदौर व हिमाचल प्रदेश से पड़ोसी मुल्क में तस्करी होने वाली फैंसीडिल की कीमत बांग्लादेश, नेपाल व पाकिस्तान पहुंचने के बाद 10 से 12 गुना हो जाती है। 100 एमएल की बॉटल पड़ोसी मुल्कों में 1 हजार से 12 सौ की मिलती है।

बांग्लादेश में इसलिए डिमांड

बांग्लादेश कोडीन से बनने वाली दवाएं प्रतिबंधित हैं। इसके अलावा यहां शराब की बिक्री पर भी रोक है। इसलिए यहां फैंसीडिल की काफी डिमांड है।

तस्करी के नेटवर्क से जुड़े केमिस्ट

ग्वालियर व मुरैना के कुछ केमिस्ट इंदौर से फैंसीडिल अधिक मात्रा में मंगा लेते हैं। फिर कंपनी को पत्र लिखकर बताते हैं कि सीरप हमारे यहां बिक नहीं रही है। वापस भेजने के लिए ट्रांसपोर्टर से सांठगांठकर इसे इंदौर की बजाय दिल्ली भेज देते हैं। अगर पकड़ में आ जाए तो बोल दिया जाता है कि गलती से दिल्ली पहुंच गया है। यहां इसे कोलकाता और कोलकाता से पड़ोसी मुल्कों में भेज दिया जाता है।

केमिस्ट पर एनडीपीएस का मामला दर्ज

बहोड़ापुर थाना पुलिस ने हाल ही में 5 लाख कीमत की फैंसीडिल के कार्ट्न पकड़े थे और मुरैना के मेडिकल संचालक सुरेश कुमार व ड्राइवर के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत केस दर्ज किया था। इससे पहले तेलंगना में भी एनडीपीएसी एक्ट के तहत इस कफ सीरप का निर्माण करने वाली अमेरिकी की कंपनी के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई हो चुकी है।