भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने देश के सबसे बड़े औद्योगिक घराने रिलायंस समूह के जमीन आवंटन और रियायत संबंधी फाइल अटकने पर नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने बुधवार को विधानसभा परिसर में उद्योग विभाग के आला अफसरों को तलब कर इस पूरे मामले में जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने पूछा कि एक माह पहले डीपीआर का प्रस्ताव आने के बावजूद अब तक उनका प्रस्ताव कैबिनेट तक क्यों नहीं आ पाया। हालात यह रहे कि अफसर इस मामले में संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए।

नवदुनिया ने 4 दिसंबर को '35 हजार करोड़ की रिलायंस की डीपीआर मंत्रालय में ही घूम रही" शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था । मुख्यमंत्री ने मामले को गंभीरता से लेते हुए इस पर बैठक बुलाई। उन्होंने यहां तक कहा कि बड़े निवेशकों के मामले अटकने का मामला मीडिया में आने से छवि खराब होती है। अफसरों को इसका ध्यान रखना चाहिए।

बैठक में अफसरों ने बताया कि रिलायंस समूह को 25 फीसदी दरों पर जमीन, वैट सहित अन्य छूट और सुविधाएं देने का प्रस्ताव कैबिनेट में आना है, इस संबंध में वित्त विभाग से सहमति लेने प्रस्ताव भेजा गया है, जल्द ही इसे कैबिनेट में लाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि रिलायंस समूह को पीथमपुर एसईजेड की 400 एकड़ जमीन आवंटित की जाना है। रिलायंस समूह के प्रतिनिधियों ने 30 अक्टूबर को राज्य सरकार को पूरे प्रोजेक्ट की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनाकर दे चुके हैं।

इस क्षेत्र में होना है निवेश

- सेमी फेब कंडक्टर निवेश । इसमें मोबाइल की माइक्रो चीप और एलईडी एलसीडी बनाने की भी यूनिट लगाई जाएंगी। इसकी डीपीआर 25 हजार करोड़ की दी गई है।

- पीथ्ामपुर एसईजेड में डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट खोलेंगे। यहां पर टैंक, बंदूक और तोप बनाई जाना प्रस्तावित हैं। इसकी डीपीआर 5 हजार करोड़ की दी गई है।

- देश का सबसे बड़ा डेटा सेंटर खोला जाना प्रस्तावित है, इसमें मप्र सहित अन्य राज्यों के एन्ड्रायड मोबाइल डेटा को रखा जाएगा। इसकी डीपीआर 5 हजार करोड़ की दी गई है।