
वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के प्रमुख दावेदार डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दिए गए मुस्लिम-विरोधी बयानों को व्हाइट हाउस ने अमेरिकी मूल्यों और संविधान के खिलाफ बताया है। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जोश अर्नेस्ट ने कल अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में संवाददाताओं से कहा कि ये बयान सिर्फ राष्ट्रपति की प्राथमिकताओं के ही नहीं बल्कि इस देश की स्थापना के लिए जरूरी मूल्यों के भी खिलाफ हैं।
ट्रंप ने पिछले सप्ताह एक बयान में मुस्लिमों के अमेरिका में प्रवेश प्रतिबंधित करने की बात कही थी, इसके बाद से उनकी लोकप्रियता में गिरावट आई है। इससे पहले उन्होंने मस्जिदों की निगरानी की बात कही थी। ट्रंप के दोनों ही बयानों पर राजनीतिक दलों ने तीखी प्रतिक्रियाएं जताई थीं। व्हाइट हाउस ने कहा कि ऐसी टिप्पणियों ने ट्रंप को अमेरिका का राष्ट्रपति होने के लिए अयोग्य करार दे दिया है। उन्होंने कहा, इस देश की स्थापना उन लोगों द्वारा की गई थी, जो कि अत्याचारों से बचकर भाग रहे थे और एक ऐसे स्थान की खोज कर रहे थे, जहां वे स्वतंत्रता के साथ अपने धर्म का पालन कर सकें। अमेरिकी होने का यह मूल आधार है।
अर्नेस्ट ने कहा, मेरे लिए यह काफी स्पष्ट है कि इस तरह की टिप्पणियां और राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की दावेदारी पेश करने वाले ट्रंप एवं अन्य रिपब्लिकन उम्मीदवारों द्वारा इस तरह की चीजों की वकालत करते हुए अपनाए जा रहे नीतिगत रूख..इस देश की मूल स्थापना के मूल्यों के विपरीत हैं। उन्होंने कहा कि यह निराशाजनक है और निश्चित तौर पर विभाजनकारी है। यह निंदनीय भी है। पेरिस और सन बर्नार्डिनो में हुए आतंकी हमलों के संदर्भ में अर्नेस्ट ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि लोग यह समझें कि हिंसक चरमपंथियों का मुख्य लक्ष्य लोगों को आतंकित करना, उनमें डर पैदा करना और उग्र प्रतिक्रिया भड़काना है।
उन्होंने कहा, यह उनका सबसे कारगर हथियार है और इसी लिए राष्ट्रपति ने बार-बार अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है कि हम डर के आगे घुटने नहीं टेकेंगे। हम आतंकवाद के आगे नहीं झुकेंगे। हम हिंसक चरमपंथियों के कृत्यों से देशभर में डर पैदा नहीं होने देंगे। अर्नेस्ट ने कहा, इसका यह अर्थ नहीं है कि हम चौकस नहीं रहेंगे क्योंकि निश्चित तौर पर हम चौकस हैं। हमने इस बारे में पिछले दिनों काफी बातचीत की है कि हिंसक चरमपंथ से निपटने में और आईएसआईएल को नष्ट करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बनाने के लिए प्रशासन ने कितने महत्वपूर्ण एवं गंभीर कदम उठाए हैं।