ग्वालियर। क्या आप जानते हैं कि शहर में तैनात पुलिस फोर्स में से हर छठा जवान तनाव में है। काम करने के तरीके, बढ़ते अपराध और दबाव में ड्यूटी ने पुलिस कर्मियों को ब्लड प्रेशर, शुगर जैसी गंभीर बीमारियों की चपेट में ला दिया है। यह जानकार आपको हैरानी जरुर होगी, लेकिन यह सही है।

पिछले कुछ समय में लगाए गए स्वास्थ्य शिविरों में कुछ इस तरह के खुलासे हुए हैं। यह सिर्फ जिले की स्थिति नहीं है बल्कि पूरे प्रदेश में पुलिस का यही हाल है। स्टाफ की कमी, काम का बोझ आए दिन पुलिसकर्मियों को तनाव में घिरने पर मजबूर कर रहा है। जिले में सभी थानों और पुलिस लाइन में मिलाकर वर्तमान में 2400 पुलिसकर्मी हैं। जिनमें लगभग 400 पुलिसकर्मी तनाव में है।

एक साल में 4 शिविर, सबसे ज्यादा बीपी के मरीज

- जिले में अभी 2400 पुलिसकर्मी की स्ट्रेंथ है। पिछले एक साल में 5 से 6 हेल्थ कैंप पुलिस लाइन में विभिन्न एनजीओ के माध्यम से लगाए गए हैं। सभी स्वास्थ्य शिविरों में पुलिस कर्मियों में ब्लड प्रेशर और शुगर की बीमारी निकलकर आई है। हर कैंप में 50 फीसदी पुलिसकर्मी तनावग्रस्त पाए गए हैं। इसके बाद अन्य बीमारी जैसे लीवर, किडनी और आंखों की परेशानी है।

प्रदेश का भी यही हाल

-यह हालत जिले का नहीं है बल्कि पूरे प्रदेश में यही हाल है। जनवरी 2014 से 30 सितंबर 2015 के बीच पूरे प्रदेश में 446 पुलिस कर्मियों की मौत विभिन्न बीमारियों की चपेट में आकर हुई है। इनमें से 14 मौत जिले के पुलिस कर्मियों की भी है। प्रदेश के आंकड़े इस प्रकार हैं।

मौत कारण

93 हार्टअटैक

47 कैंसर

27 पीलिया/ लीबर खराबी

9 किडनी खराबी

9 पैरालिसिस

10 ब्रेन हेमरेज

06 टीबी

05 डायबीटिज/ बीपी

82 सड़क दुघर्टना

05 रेल दुघर्टना

27 आत्महत्या

126 अन्य बिमारियां

जटिल दिनचर्या से हो रहे बीमार

जिले में पुलिसकर्मी गंभीर बीमारियों की चपेट में क्यों आ रहे हैं जब इसकी पड़ताल की गई और कुछ थानों में बैठे पुलिस कर्मियों से नईदुनिया ने बातचीत की तो जटिल दिनचर्या और काम का बोझ और अत्यधिक दबाव कई ऐसे कारण सामने आए। जिनके कारण पुलिसकर्मी बीमार हो रहे हैं।

-एक पुलिसकर्मी 12 घंटे की ड्यूटी कर रहा है। जिसमें उसके खाने का कोई समय निर्धारण नहीं है।

-7 दिन तक इसी तरह सुबह या रात की शिफ्ट में पुलिसकर्मी काम करेगा।

- 7 दिन बाद उसकी शिफ्ट बदलेगी तो उसे लगातार 24 घंटे काम करना होगा। इसका मतलब वह 24 घंटे न तो सोएगा न ही कुछ और करेगा। इसके बाद उसकी शिफ्ट बदलेगी।

-24 घंटे लगातार काम करने के बाद शिफ्ट बदलते ही उसे 12 घंटे बाद फिर काम पर लौटना होगा।

यह भी तनाव बढ़ने का कारण

-पिछले कुछ वर्षो में शहर का विस्तार हुआ है, लेकिन फोर्स नहीं बढ़ा

-फोर्स की कमी के चलते पुलिस कर्मियों पर ज्यादा दबाब

- अपराध लगातार बढ़ रहा है और रोज नई चुनौतियां

-ड्यूटी का ढंग और समय के कारण व्यायाम नहीं होने से स्वास्थ्य पर असर

अच्छे नतीजे के बाद भी बंद कर दिया आदर्श थाना

-पुलिस कर्मियों को स्वस्थ रखने और पुलिस की कार्रप्रणाली में सुधार लाने के लिए केन्द्र सरकार ने आदर्श थाना व्यवस्था पर प्रयोग किया था। जिसमें ग्वालियर रेंज से दो थाने ग्वालियर में पड़ाव थाना और अशोक नगर से थाना सिलेक्ट हुआ था।

-आदर्श थाना के तहत इन दोनों थानों में स्टाफ की कमी अन्य थानों से जवान लेकर पूरी की गई। पुलिस कर्मियों को सिर्फ 8-8 घंटे की ड्यूटी करवाई गई। साथ ही काम का बोझ कम किया गया। करीब 2 महीने तक यह व्यवस्था प्रयोग की गई। जब पुलिस कर्मियों ने परिवार के साथ समय बिताया तो काम में अच्छा प्रभाव पड़ा और अच्छा रिजल्ट आया। पर इस व्यवस्था को बीच में ही बंद कर दिया गया।