ग्वालियर। जब मैं गांव से ललितपुर शहर आया तब मुझे पता चला कि मुस्लिम अलग जाति होती है, क्योंकि गांव में तो हम यह जानते ही नहीं थे। हकीकत यह है कि जब व्यक्ति ज्यादा पढ़ लिख लेता है तो इस प्रकार की खुराफात शुरू होती है। यह परिवर्तन का दौर है, अगले चुनाव तक और जुम्बिश होगी और जलजला भी बन सकती है यदि हमने इसका जवाब नहीं दिया तो। इसलिए जरूरी है कि इसका जवाब हर उस मंच पर दिया जाए, जहां से हमें डराने की कोशिश की जा रही है। शाहरूख खान के गांधी परिवार से संबंध हैं। वह रात-बिरात उनके घर भी जाते हैं, लेकिन आमिर खान जैसे सुलझे हुए कलाकार असहिष्णुता की बात करेंगे, इसकी हमें उम्मीद नहीं थी।

अभिनेता एवं भाजपा नेता राजा राजेश्वर प्रसाद बुंदेला ने यह बात चेतना मंच द्वारा रविवार को चेम्बर ऑफ कॉमर्स में आयोजित वैश्विक सहिष्णुता एवं भारत विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी के दौरान मुन्नाा खां द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में कही।

मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए बुंदेला ने कहा कि जिस कलाकार को देश ने सिर माथे पर बैठाया, जिस देश में उनकी फिल्म ने 350 करोड़ रुपए कमाए, उस अभिनेता ने बेडरूम की चर्चा को एक ऐसी महफिल में सरेआम किया, जिसका लाइव टेलीकॉस्ट हो रहा था। उस समय देश के प्रधानमंत्री दो देशों में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करने वाले थे। 11दिन पहले जिस कलाकार ने कहा था कि मोदी में उन्हें देश का भविष्य दिखाई दे रहा है और बेडरूम में हुई चर्चा से उनकी सोच बदल गई, बड़ी आश्चर्य की बात है। मोदी को रोकने के लिए एक सोच शुरू हुई, जिसके तहत सबसे पहले अवार्ड लौटाने वाली साहित्यकार थी नैनतारा, जिनके बारे में कौन नहीं जानता है कि वह पंडित जवाहरलाल नेहरू की संबंधी हैं।

दूसरे सेवानिवृत्त मुख्य सचिव अशोक वाजपेयी जो कि भोपाल गैस कांड के आरोपी एंडर्सन को खुद अपनी गाड़ी में बैठाकर एयरपोर्ट तक छोड़कर आए थे और देश छोड़कर भागने में मदद की थी। कार्यक्रम में विषय प्रवर्तक की भूमिका राजेश सोलंकी ने निभाई, जबकि मंच का संचालन नियाज मौहम्मद ने किया। कार्यक्रम के अंत में श्रोताओं ने अतिथियों से प्रश्न भी पूछे।

डॉ. अम्बेडकर की पत्नी ब्राह्मण थीं

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित पॉचजन्य समाचार पत्र के संपादक हितेश शंकर ने कहा कि संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर का निर्वाण दिवस है। यह सही है कि समाज की कुछ कुरीतियों के वह खिलाफ थे लेकिन उनके द्वारा कभी असहिष्णुता की बात नहीं की गई। बाबा साहेब को आंबेडकर नाम उनके ब्राह्मण गुरू ने दिया था, लेकिन यह सहिष्णुता लोगों से सहन नहीं होती। शायद बहुत कम लोगों को पता होगा कि उनकी पत्नी सारस्वत ब्राह्मण थीं। पैसा, विचारधारा और अहम की संतुष्टी के लिए कुछ लोग देश को बदनाम करने की साजिश कर रहे हैं। पूर्व राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद के निधन के बाद प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू उनकी अंतिम यात्रा में जाने की जगह जयपुर गए थे, जहां उनका तुलादान होने वाला था। साहित्यकार मुनब्बर खान ने चैक टीवी चैनल में पहुंचकर लौटाया, लेकिन जिस रेलवे के प्रथम श्रेणी के पास से यात्रा करके पहुंचे थे वह क्यों नहीं लौटाया। पुरस्कार लौटाने वालों ने मिट्टी का अपमान किया है।

अतिथियों की जमात ने असहिष्णु करार दियाः

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महापौर विवेक शेजवलकर ने कहा कि अतिथियों की जमात के ही कुछ लोगों ने देश को असहिष्णु करार दिया है। ऐसे में इनका यहां होना इस बात को जाहिर करता है कि देश में सहिष्णुता का माहौल है कहीं भी असहिष्णुता जैसी कोई बात नहीं है। वहीं विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित प्रसिद्ध कर्टूनिस्ट इरफान खान ने कहा कि असहिष्णुता का मुझसे तो कोई लेना-देना ही नहीं है। यहां बैठे इतने लोगों में से कोई भी हाथ उठाकर कहे कि क्या उसने कभी असहिष्णुता जैसा शब्द सुना है। यह आयातित शब्द है क्योंकि इसका हिन्दी के शब्दकोष में तो कोई जिक्र ही नहीं है। हमारे बड़े बुजूर्गों ने माटी का भाव हमें दिया है, लेकिन जिनको तालिम नहीं मिली है वही देश छोड़ने की बात करते हैं।

कार्यक्रम में ये भी हुआः

-विषय प्रवर्तक राजेश सोलंकी जब भाषण दे रहे थे तो वह मोहम्मद गौरी की जगह प्रथ्वीराज चौहान ने 16 बार देश पर आक्रमण किया बोल गए। हालांकि बाद में श्रोताओं ने जब गलती बताई तो उन्होंने भूल सुधार कर ली।

-राजा बुंदेला ने बताया कि उनका नाम काफी बड़ा था ऐसे में जब फिल्मों की बात आई तो निर्माता ने कहा कि नाम बड़ा है छोटा करो नहीं तो फिल्म भूल जाए। इसके बाद उन्होंने अपना नाम राजा बुंदेला रख लिया।

-जब मंच संचालक ने अंत में प्रश्नोत्तरी के दौरान यह कहा कि बस यह आखिरी सवाल है तो मुख्य अतिथि राजा बुंदेला ने टोकते हुए कहा कि आखिरी क्यों है, हमें कहीं नहीं जाना है जितने सवाल पूछना है पूछो, हम तो यहीं बैठे हैं।