इस्लामाबाद : पाकिस्तान ने पेशावर में एक सैनिक स्कूल पर किए गए हमले में शामिल चार तालिबान आतंकवादियों को आज (गुरुवार) फांसी पर लटका दिया। प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने उनकी अपीलों को खारिज करते हुए कहा था कि उन पर रहम नहीं किया जा सकता।

हमलों में 150 से अधिक लोग मारे गये थे जिनमें अधिकतर बच्चे थे। पेशावर के पास कोहट में एक असैन्य जेल में चार आतंकियों मौलवी अब्दुस सलाम, हजरत अली, मुजीबुर रहमान और सबील उर्फ याह्या को फांसी दे दी गई। पेशावर स्कूल नरसंहार मामले में यह फांसी की सजा का पहला मामला है। एक सुरक्षा अधिकारी ने चारों आतंकियों को फांसी दिए जाने की पुष्टि की। सभी तालिबान से जुड़े तोहीदवाल जिहाद समूह के सदस्य थे।

पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल राहील शरीफ ने सोमवार को चारों आतंकवादियों की फांसी के फैसले पर हस्ताक्षर किया था। इससे पहले उनकी याचिका को राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने पिछले महीने ही खारिज कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त महीने में एक आदेश में सैन्य अदालतों की स्थापना को कानूनी अधिकार प्रदान किया था जिसके बाद सेना प्रमुख ने पहली बार इस तरह की सजा पर मुहर लगाई है। शरीफ ने राष्ट्रपति को दया याचिकाएं खारिज करने की सलाह दी थी जिसके बाद उन्होंने इन्हें खारिज कर दिया। शरीफ ने कहा था कि पूरे राष्ट्र की इच्छा है कि ऐसे घृणित अपराधों को अंजाम देने वालों को कोई रहम नहीं दिखाया जाए।

नरसंहार में शामिल छह आतंकवादियों को अगस्त में मौत की सजा सुनाई गयी थी वहीं एक को सैन्य अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई। सातों दोषियों में से छह तोहीदवाल जिहाद समूह के हैं वहीं एक तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का सक्रिय सदस्य है।

इस घटना को 16 दिसंबर को एक साल पूरा होने से पहले यह फांसी दी गयी है। पिछले साल पेशावर में तालिबान के बंदूकधारियों ने सेना द्वारा संचालित एक स्कूल पर हमला कर दिया था।

इस हमले के बाद पाकिस्तान ने देश में फांसी पर से रोक को हटा ली थी। तब से अब तक देशभर में 300 लोगों को फांसी दी जा चुकी है। इससे कई स्थानीय एवं अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कार्यकर्ता चिंतित हैं।