इंदौर। शिक्षा के अधिकार (आरटीई) के तहत सरकारी स्कूलों में सामान्य के साथ दृष्टिहीन छात्रों को प्रवेश और शैक्षणिक सुविधाएं देने का दावा राज्य सरकार लंबे समय से कर रही है लेकिन हकीकत कोसों दूर है।
केंद्र सरकार की एक संस्था ने राज्य सरकार के दावों की जांच के लिए हाल ही में सर्वे करवाया। इसमें सामने आया कि प्रदेश में दृष्टिहीन छात्रों को सुविधाएं देने में राज्य सरकार नाकाम है।
केंद्र सरकार के उपक्रम ऑल इंडिया कन्फेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड ने प्रदेश के सरकारी स्कूलों में दृष्टिहीन छात्रों को मिल रहे प्रवेश व सुविधाओं के बारे में सूचना के अधिकार के तहत जानकारी ली। उपक्रम ने इंदौर की संस्था मप्र दृष्टिहीन कल्याण संघ के जरिये एक सर्वे करवाया।
संस्था द्वारा एक महीने पहले प्रदेश के सात जिलों इंदौर, देवास, उज्जैन, भोपाल, नीमच, बैतूल व राजगढ़ के सरकारी स्कूलों में दृष्टिहीन छात्रों की स्थिति जानी।
संस्था ने इन जिलों के 10 ऐसी सरकारी स्कूल, जहां दृष्टिहीन छात्र पढ़ते थे की जानकारी एकत्र की। इसमें सामने आया कि प्रदेश के सरकारी प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में दृष्टिहीन छात्रों को प्रवेश नहीं मिल रहा है।
वहीं हाई स्कूल व हायर सेकंडरी में छात्र प्रवेश तो ले रहे हैं लेकिन उन्हें बे्रल लिपि की पुस्तकें नहीं मिल रही हैं। पहली से आठवीं तक की ब्रेल पुस्तकें हैं, 9वीं के बाद ये उपलब्ध् नहीं हैं। छात्रों के लिए ब्रेल स्लेट तो है लेकिन गणित के सवालों को हल करने के लिए टेलर फ्रेम नहीं हैं।
इन स्कूलों में दृष्टिहीन छात्रों के लिए विशेष शिक्षक भी नहीं मिल रहे हैं। शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले नि:शक्त बच्चों की मदद के लिए ब्लॉक स्तर पर मोबाइल रिसोर्स सलाहकार भी नियुक्त किए हैं लेकिन इनकी संख्या बहुत कम है। इस वजह से ये सलाहकार भी बहुत कम बार सरकारी स्कूलों में पहुंच पाते हैं।
हैदराबाद में पेश करेंगे रिपोर्ट
संस्था की यह रिपोर्ट ऑल इंडिया कन्फेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड द्वारा हैदराबाद में 11 से 13 अक्टूबर तक होने वाली दृष्टिहीनों के लिए शिक्षा के अधिकार के तहत मिलने वाली सुविधाओं से संबंधित कॉफ्रेंस में पेश की जाएगी। इसके बाद राज्य सरकार द्वारा सूचना के अधिकार के तहत दी गई रिपोर्ट और इस रिपोर्ट का मिलान कर प्रदेश सरकार को कार्रवाई के लिए अनुशंसा की जाएगी।
यह करना होगा
संस्था ने सर्वे के साथ दिए सुझाव में कहा है कि प्रदेश के हर सरकारी स्कूल में दृष्टिहीन छात्रों को पढ़ाने के लिए विशेष शिक्षक की नियुक्ति की जाए। इनके लिए विशिष्ट उपकरण, लार्ज प्रिंट बुक, ब्रेल पुस्तकें उपलब्ध करवाई जाए। ग्रामीण क्षेत्रों से दृष्टिबाधितों की पहचान कर स्कूलों में पहुंचाया जाए।
कार्रवाई की अनुशंसा करेंगे
पिछले महीने किए गए सर्वे में सामने आया कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में दृष्टिहीन बच्चे पहुंच ही नहीं पा रहे हैं। जहां प्रवेश मिल रहा है वहां सुविधाओं का अभाव है। यह रिपोर्ट ऑल इंडिया कन्फेडरेशन ऑफ ब्लाइंड को सौंपी जाएगी। संस्था ने प्रदेश सरकार से भी इस संबंध में सूचना के अधिकार के तहत पूर्व में जानकारी ली है। इन दोनों रिपोर्ट का मिलान कर केंद्र की यह संस्था दृष्टिहीन छात्रों के संबंध में प्रदेश सरकार को कार्रवाई के लिए अनुशंसा करेगी।
रिपोर्ट का मिलान करेंगे
शिक्षा के अधिकार के तहत सरकारी स्कूलों में सामान्य के साथ दृष्टिहीन बच्चों को प्रवेश दिया जाना चाहिए। इस अधिकार का पालन मप्र में हो रहा है या नहीं, यह जानने के लिए राज्य सरकार से रिपोर्ट ली गई है। इंदौर की संस्था से सर्वे भी करवाया गया है। अब दोनों रिपोर्ट का मिलान कर मप्र सरकार की हकीकत जानने की कोशिश की जाएगी।
सरकारी स्कूलों में नहीं पहुंच रहे दृष्टिहीन छात्र
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