ग्वालियर। 1170 ग्राम, 24 कैरेट सोने के मुकुट ने शहर के प्राचीन अचलेश्वर महादेव मंदिर की शोभा बढ़ा दी है। 31 लाख 51 हजार रुपए की लागत से तैयार इस मुकुट को अब हर सोमवार को बाबा अचलनाथ को पहनाया जाएगा।

शनिवार को मुरार स्थित किचलू बंगला निवासी महिला श्रद्घालु कमलरंग लाल शाह ने इस मुकुट को विधि-विधान के साथ बाबा को पहनाया। शहर के किसी भी मंदिर में दानदाता द्वारा इतने वजन का सोने का मुकुट अब तक दानस्वरूप नहीं दिया गया है। यह पहला मंदिर है, जहां किसी श्रद्घालु द्वारा 1170 ग्राम सोने का मुकुट अर्पित किया गया है।

मुकुट में इन ज्योतिर्लिंग की हैं आकृति

- मुकुट पर 12 ज्योर्तिलिंग सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ओमकारेश्वर, केदारनाथ, भीमाशंकर, काशी विश्वनाथ, त्रयम्बकेश्वर, वैद्यनाथ,नागेश्वर, रामेश्वर, घृष्णेश्वर की आकृतियां हैं।

-मुकुट पर भगवान महादेव की आकृति ऊपर के हिस्से की ओर उकेरी गई है। इसमें महादेव अपने हाथों में त्रिशूल, डमरू और गले में नाग धारण किए हुए हैं।

सुरक्षा के अभाव में 24 घंटे नहीं पहनेंगे सोने का मुकुट

- बाबा अचलनाथ को सोने का मुकुट चढ़ाने वाले श्रद्घालु ने इस 24 घंटे पहनाए रखने की इच्छा मंदिर के न्यास के पदाधिकारियों के समक्ष रखी थी। लेकिन इस मुकुट की सुरक्षा में असमर्थता जताते हुए न्यास के पदाधिकारियों ने हर सोमवार को इसे पहनाने की आश्वासन दानदाता को दिया है। इस बात पर दानदाता ने भी अपनी सहमति व्यक्त कर दी है। इसकी वजह से शहरवासी हर सोमवार को सोने का मुकुट धारण किए हुए बाबा अचनाथ के दर्शन कर सकेंगे।

कैमरे से होगी सुरक्षा

- न्यास के कार्यकारी सदस्य रामकुमार गोयल के अनुसार सोने के मुकुट की वजह से अब मंदिर में लगाए गए कैमरों से विशेष निगरानी रखी जाएगी। मंदिर में 15 कैमरे हैं। इन सभी के माध्यम से सोमवार के दिन कंट्रोल रूम में बैठकर सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त रखने के प्रयास किए जाएंगे।

साईं मंदिर पर चढ़ा था पहला सोने का मुकुट

- साईं भक्त मंडल ट्रस्ट विकास नगर में श्रद्घालु संजय राजौरिया द्वारा दानस्वरूप साईं बाबा को 100 ग्राम सोने का स्वर्ण मुकुट पहनाया गया था। 27 दिसंबर को 2012 को पहनाए गए इस मुकुट को विशेष त्योहार पर साईं बाबा को पहनाया जाता है। उस समय इसकी कीमत ढाई से तीन लाख रुपए के बीच थी।

300 घंटे की मेहनत से तैयार हुआ

बाबा अचलनाथ को चढ़ाए गए 1170 ग्राम सोने के मुकुट को तैयार करने में 300 घंटे का समय लगा है। इस मुकुट के निर्माता कालीचरन दर्शन लाल सर्राफ मुरार के संचालक सुनील गोयल के अनुसार इस मुकुट को बनाने में कारीगर प्रतिदिन 4 से 5 घंटे का समय देते थे। दो कारीगरों के साथ दो सहायक भी मदद करते थे। इसके बाद ही इस मुकुट को पूर्ण स्वरूप दिया जा सका है। मुकुट शुद्घ 24 कैरेट सोने से तैयार किया गया है।