विभिन्न कंपनियों का विलय करने को लेकर एक और बड़े कदम के तौर पर नरेंद्र मोदी सरकार ने एक मेगा थर्मल और एक मेगा हाइड्रो कंपनी बनाने का प्रस्ताव किया है।
ये कंपनियां केंद्र सरकार के सभी हाइड्रो और थर्मल पावर प्रोजेक्ट विकसित करने और संचालित करने का काम करेंगी। केंद्र सरकार ने एनटीपीसी लिमिटेड को हाइड्रो पावर छोड़ कर थर्मल पावर के उत्पादन पर अपना ध्यान केंद्रित करने को कहा है।
नरेंद्र मोदी सरकार ने हाइड्रो पावर कंपनियों जैसे एनएचपीसी, टीएचडीसी और एसजेवीएनएल को मिला कर एक कंपनी बनाने का प्रस्ताव किया है। ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल इस प्रस्ताव के समर्थन में हैं।
प्रस्ताव का मकसद केंद्र सरकार की विभिन्न कंपनियों जैसे सतलज जल विद्युत निगम लिमिटेड, टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन और एनएचपीसी लिमिटेड को एक कंपनी के नीचे लाकर बेहतर अनुशासन, विशेषज्ञता और अनुभव का समावेश करना है।
इसका मतलब है कि सभी हाइड्रो कंपनियों का विलय कर एक मेगा हाइड्रो कंपनी बनाई जाएगी। हालांकि, एसजेवीएनएल ने उसका विलय करने या उसे एनटीपीसी के तहत लाने के किसी कदम का विरोध किया है। कंपनी का मानना है कि यह कदम बड़े पैमाने पर कानूनी और प्रशासनिक जटिलताओं से भरा हुआ है और इससे अव्यवस्था की स्थिति पैदा होगी।
वहीं, दूसरी तरफ ऐसा माना जा रहा है कि गोयल ने एनटीपीसी को हाइड्रो पावर के उत्पादन से हट कर सिर्फ थर्मल पावर के उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करने को कहा है।
ऊर्जा मंत्री ने सुझाव दिया है कि केंद्रीय क्षेत्र में सभी थर्मल पावर प्रोजेक्ट एनटीपीसी द्वारा विकसित किए जाने चाहिए और केंद्रीय क्षेत्र के सभी हाइड्रो प्रोजेक्ट एनएचपीसी, एसजेवीएन या टीएचडीसी को मिला कर बनाई गई एक कंपनी द्वारा विकसित किए जाने चाहिए। रोचक बात यह है कि एनटीपीसी ने ऊर्जा मंत्री के प्रस्ताव का समर्थन किया है।
एनटीपीसी उन सभी हाइड्रो प्रोजेक्ट की सूची पहले ही ऊर्जा मंत्रालय को भेज चुकी है, जिनको वह मौजूदा समय में विकसित कर रही है। इनमें 800 मेगावाट कोलदम हाइड्रो प्रोजेक्ट, 520 मेगावाट तपोवन विष्णुगढ़ हाइड्रो प्रोजेक्ट, 185 मेगावाट लता तपोवन प्रोजेक्ट और 120 मेगावाट रम्मम-3 हाइडिल प्रोजेक्ट शामिल हैं।
एनटीपीसी ने बताया है कि इन प्रोजेक्टों पर काम पूरी तेजी से चल रहा है और ऊर्जा मंत्रालय से इन प्रोजेक्टों को हाइड्रो सेंट्रल पावर जेनरेटर्स को स्थानांतरित करने के लिए तौर-तरीकों पर सुझाव देने का आग्रह किया गया है।
इसके अलावा एनटीपीसी ने बताया है कि कुछ थर्मल प्रोजेक्ट ऐसे है जिन्हें सेंट्रल हाइड्रो पावर जेनरेटर्स द्वारा विकसित किया जा रहा है। एनटीपीसी ने इन प्रोजेक्टों को उसके पास स्थानांतरित किए जाने का अनुरोध किया है।
पीयूष गोयल की राय है कि केंद्र सरकार की सभी हाइड्रो पावर कंपनियों को एक हाइड्रो सेंट्रल पब्लिक सेंटर यूनिट (सीपीएसयू) में मिला दिया जाए। इससे क्षमता विस्तार में तेजी लाने और बेहतर प्रबंधन में मदद मिलेगी।
उन्होंने एसजेवीएन, एनईईपीसीओ, टीएचडीसी और एनएचपीसी का एक सेंट्रल हाइड्रो पावर जेनरेटिंग कंपनी में विलय करने की संभावना तलाशने का सुझाव दिया है।
ऊर्जा सचिव ने चार हाइड्रो सीपीएसयू को मिला कर एक कंपनी बनाने की संभावनाओं का परीक्षण करने के लिए एनएचपीसी के सीएमडी को नोडल ऑफीसर नियुक्त किया है।
एनएचपीसी ने एसबीआई कैपिटल मार्केट्स लिमिटेड को ‘इंटीग्रेशन ऑफ सेंट्रल हाइड्रो पीएसयू इन इंडिया’ शीर्षक से विचार पत्र तैयार करने के नियुक्त किया था। एनएचपीसी ने ऊर्जा मंत्रालय के पास यह विचार पत्र भेज दिया है।
वहीं, एसजेवीएनएल की राय है कि अगर सभी सेट्रल हाइड्रो पावर सेक्टर यूनिट का विलय कर एक कंपनी बनाई जाती है, तो इससे एनएचपीसी के शीर्ष प्रबंधन के लिए बड़ी संख्या में चल रहे प्रोजेक्टों से जुड़े मुद्दों का समाधान करना मुश्किल होगा।
कंपनी का मानना है कि किसी हाइड्रो कंपनी के लिए निर्माणाधीन चार या पांच मेगा प्रोजेक्ट से अधिक का प्रबंधन करना कठिन है।
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