जबलपुर। सिर पर मुकुट, हाथ में तलवार, घोड़े की सवारी। वीरांगना का कुछ ऐसा ही प्रतीक रूप रखकर छोटी-छोटी बालिकाओं ने सभी को रानी दुर्गावती के बलिदान की याद दिलाई। उड़ीसा, मंडला, छत्तीसगढ़ से आए आदिवासी कलाकारों ने पारंपरिक लोक नृत्यों के जरिए अपनी समृद्घ संस्कृति का प्रदर्शन किया। शहर के विभिन्न मार्गों पर शौर्य, संस्कृति से लबरेज यह माहौल देखने मिला। अवसर था वीरांगना रानी दुर्गावती के 452वें बलिदान दिवस पर आयोजित समारोह का। यह आयोजन आदिवासियों के लिए कार्य कर रही संस्था वनस्वर के सहयोग से राष्ट्रीय जनजाति युवा- सांस्कृतिक महोत्सव के रूप में किया गया।

झांकियों से सजी रैली

समाधि स्थल पर श्रद्घांजलि कार्यक्रम के बाद जनजाति वीरांगनाओं की भूमिका पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई। इसके बाद 25 घुडसवार बालिकाएं रानी दुर्गावती के रूपों में मालवीय चौक पर एकत्रित हुई। इसके बाद होमसाइंस कॉलेज पहुंचीं। इनके साथ ओडिशा, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्यप्रदेश के मंडला के लोकनृत्यों से सजी टोलियां भी चल रही थीं। मालवीय चौक पर जनजाति युवा-सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन किया गया।

अतिथियों ने सराही कला

महोत्सव में विधायक अशोक रोहाणी, विधायक अंचल सोनकर, सीए राजेश जैन के साथ ही मंडला के विधायक फग्ग्न सिंह कुलस्ते उपस्थित रहे। अतिथियों ने बीजादांडी के गोंडी,ओडीशा के रानी दुर्गावती नृत्य और छत्तीगढ़ के बैगा नृत्य को सराहा। पारंपरिक वेशभूषाओं से सजे कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से सभी का दिल जीत लिया।

इस अवसर पर वीरांगना मैराथन और सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेने वाले कलाकारों को सम्मानित किया गया। संचालन सृजनेस सिलाकारी द्विवेदी ने किया। आयोजन को सफल बनाने में वनस्वर संस्था के सदस्यों का सहयोग रहा।